इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी यासीन भटकल की गिरफ्तारी पर बिहार में छिड़े सियासी घमासान के दो दिन बाद आखिरकार राज्य के डीजीपी ने मुंह खोला. पटना में पुलिस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में डीजीपी के मुंह से अपनी पुलिस की तारीफ में एक भी शब्द नहीं निकला.
डीजीपी अभयानंद लगातार यह कहने की कोशिश करते रहे कि इस गिरफ्तारी में बिहार पुलिस ने सिर्फ एक सहयोगी की भूमिका निभाई है, इसलिए उसे श्रेय नहीं दिया जा सकता. बार-बार यह सवाल पूछे जाने पर अभयानंद ने बिहार पुलिस की बजाए जांच एजेंसी को श्रेय तो दिया, लेकिन अपनी पुलिस की पीठ थपथपाने से बचते रहे.
दरअसल बिहार में बीजेपी ने इसे मुद्दा बना लिया है. लेकिन नीतीश सरकार वोट बैंक की खातिर इस मामले पर अपनी पुलिस की पीठ थपथपाने से बच रही है. डीजीपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यासीन भटकल की गिरफ्तारी रक्सौल से 29 अगस्त की सुबह हुई. बिहार पुलिस ने दूसरी एजेंसियों के साथ मिलकर पूछताछ की, लेकिन चूंकि बिहार में उसपर कोई मामला दर्ज नहीं है, इसलिए बिहार पुलिस ने उसे रिमांड पर नहीं लिया.
डीजीपी अभयानंद ने कहा, 'मैं जो कह रहा हूं, वो फैक्ट है. गिरफ्तारी में पुलिस को मदद करनी पड़ती है. यह गिरफ्तारी बड़ी है या छोटी, इसे जज करने काम मेरा नहीं हैं.'
अभयानंद ने कहा, 'यासीन को बिहार पुलिस ने अकेले नहीं पकड़ा है. साथ ही अगर बिहार पुलिस को मदद नहीं मिली होती, तो वह नहीं पकडा़ जाता.'
जब अभयानंद से यह पूछा गया कि वे बिहार पुलिस को सीधा श्रेय क्यों नहीं देना चाहते हैं, तो इस पर उन्होंने कहा, सीधा श्रेय नहीं है, क्योंकि वह बिहार का रहने वाला नही है और बिहार में उसके खिलाफ कोई केस नहीं है. जहां उसने क्राइम किया है, वहीं उसके बारे में अधिक जानकारी है.