केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जनता दल यू के शामिल न होने का असर भले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर न पड़ा हो, लेकिन उनके विरोधियों के लिए यह सुकून की बात जरूर है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस फैसले से सबसे ज्यादा खुश आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव हैं. उनका मानना है कि बीजेपी ने नीतीश कुमार को भाव देना बंद कर दिया है.
वहीं, मुख्यमंत्री और जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार का कहना है कि इस तरह का कोई प्रस्ताव उनके पास आया ही नहीं और न ही उन्होंने इस बारे में दूर-दूर तक सोचा कि जनता दल यू केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होगा. इस विस्तार में केवल बीजेपी के सांसद शामिल हुए हैं. एनडीए के घटक दल नहीं, लेकिन इसके बावजूद नीतीश कुमार के विरोधी खुश हैं.
आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने यहां तक कहा कि नीतीश कुमार पर अब बीजेपी विश्वास नहीं करती है, क्योंकि वो बिहार में कांग्रेस को तोड़कर अपने को मजबूत करना चाहते हैं. बीजेपी इस से सशंकित है. लालू प्रसाद यादव अपनी खुशियों का इजहार लगातार ट्वीट से कर रहे हैं.
हांलाकि मीडिया में इस बात की लगातार चर्चा हो रही थी कि जनता दल यू के दो मंत्री मोदी कैबिनेट में शामिल होंगे. सब अपने-अपने हिसाब से नाम भी बता रहे थे. जनता दल यू के राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह को तो लोग उनके दिल्ली आवास पर जाकर बधाई भी देने लगे, लेकिन जब विस्तार से एक दिन पहले मुख्यमंत्री की आजतक से बात हुई, तो उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का कोई प्रस्ताव ही नहीं था. इस विषय पर किसी से बातचीत भी नहीं हुई, लेकिन जनता दल यू के बाकी नेताओं को कुछ सूझ नहीं रहा है कि वो क्या जवाब दें?
पार्टी का कहना है कि महज एक महीने पहले एनडीए की सरकार बिहार में बनी है. बीजेपी की तरफ से ही नीतीश कुमार को नेता चुनने का प्रस्ताव आया और उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें एनडीए में शामिल होने का न्योता दिया. राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक के बाद 19 अगस्त को जनता दल यू औपचारिक रूप से एनडीए में शामिल हो गई. अब रही बात मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने की, तो इस विषय पर जब बड़े नेताओं के बीच बात ही नहीं हुई और ना ही कोई प्रस्ताव था. बीजेपी ने अपने किसी घटक दल को प्रस्ताव नहीं दिया था. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता है कि जनता दल को इग्नोर किया गया है.