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छत्तीसगढ़ः भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने की कवायद, अब मरीजों को देना होगा आधार कार्ड

PNDT एक्ट में हाल के संशोधनों से पहले सोनोग्राफी सेंटरों के संचालक और गाइनोलॉजिस्ट के पास जांच के लिए आने वाले मरीजों से उनका एड्रेस प्रूफ नहीं लिया जाता था. इसके चलते ज्यादातर सेंटर चोरी छिपे गर्भवती महिलाओं का लिंग परीक्षण भी कर देते हैं.

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स्वास्थ विभाग ने गाइडलाइन जारी कर सोनोग्राफी सेंटरों को आगाह किया है.
स्वास्थ विभाग ने गाइडलाइन जारी कर सोनोग्राफी सेंटरों को आगाह किया है.

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छत्तीसगढ़ में सोनोग्राफी कराने से पहले मरीजों को डाक्टरों के पास अपना आधार कार्ड देना होगा. दरअसल भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए PNDT एक्ट में हुए बदलाव के बाद गर्भवती महिलाओं और अन्य मरीजों को अपना आधार कार्ड देना अनिवार्य कर दिया गया है.

राज्य के स्वास्थ विभाग ने सोनोग्राफी सेंटरों और गाइनोलॉजिस्ट को इस नियम का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए हैं. हालांकि राज्य में ज्यादातर सोनोग्राफी सेंटर इसका पालन नहीं करते हैं.

स्वास्थ्य संचालक ने इसके लिए प्रदेश के सभी सोनोग्राफी सेंटरों और गाइनोलॉजिस्ट को सख्ती से पालन करने के निर्देश जारी किये हैं. PC एंड PNDT एक्ट की शुरुआत 1996 में की गई, उससे पहले महिलाओं की रक्षा को लेकर कोई कानून नहीं बना था.

लेकिन, तकनीक का गलत इस्तेमाल गर्भ में पल रहे संतान के लिंग परीक्षण और उसके गर्भपात कराने के लिए किया जाने लगा है, इसके मद्देनजर कानून में नए तथ्य को जोड़ा गया है.

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PNDT एक्ट में हाल के संशोधनों से पहले सोनोग्राफी सेंटरों के संचालक और गाइनोलॉजिस्ट के पास जांच के लिए आने वाले मरीजों से उनका एड्रेस प्रूफ नहीं लिया जाता था. इसके चलते ज्यादातर सेंटर चोरी छिपे गर्भवती महिलाओं का लिंग परीक्षण भी कर देते हैं.

मरीजों के आधार या दूसरा आईडी प्रूफ नहीं होने के बावजूद संचालक सोनोग्राफी कर रहे हैं. हालांकि स्वास्थ विभाग ने गाइडलाइन जारी कर सोनोग्राफी सेंटरों को आगाह किया है. उसने कहा है कि नियम का उल्लंघन पाए जाने पर सोनोग्राफी सेंटर और डॉक्टर का लाइसेंस कैंसिल होने के साथ जेल जाने का भी प्रावधान है.

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