scorecardresearch
 

छत्तीसगढ़: पहली बार अबूझमाड़ की ड्रोन से हो रही है मैपिंग!

छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़ देश का अभिन्न हिस्सा होने के बावजूद आज भी देश के नक़्शे में नहीं है. आजादी के पहले और बाद में देश के तमाम राज्यों की सरहद खींची गई. इन राज्यों के संभागो , जिलों , ब्लॉक , गांव और कस्बो का नक्शा बना लेकिन छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ का सरकार के पास न तो कोई नापजोक है और ना ही कोई नक्शा. अब पहली बार अबूझमाड़ का सर्वे हो रहा है ताकि उसका नक्शा बन सके.

Advertisement
X
फाइल फोटो
फाइल फोटो

Advertisement

छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़ देश का अभिन्न हिस्सा होने के बावजूद आज भी देश के नक़्शे में नहीं है. आजादी के पहले और बाद में देश के तमाम राज्यों की सरहद खींची गई. इन राज्यों के संभागो , जिलों , ब्लॉक , गांव और कस्बो का नक्शा बना लेकिन छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ का सरकार के पास न तो कोई नापजोक है और ना ही कोई नक्शा. अब पहली बार अबूझमाड़ का सर्वे हो रहा है ताकि उसका नक्शा बन सके.

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके का ये वो हिस्सा है जहां ड्रोन के जरिए इस इलाके के खाका खींचा जा रहा है. यह इलाका अभी तक देश के लिए अबूझ पहली बना हुआ है. आजादी के बाद से इस इलाके में ना तो कभी जनसंख्या दर्ज की गई है और ना ही सरकारी योजनाओ का नामोनिशान है. यहाँ तक की इस इलाके में आम लोगो की आवाजाही में रोक है. यह रोक आज से नहीं बल्कि अंग्रेजी शासन काल से चली आ रही है. यह रोक संवैधानिक है क्योंकि यहां पर संरक्षित जनजातियां निवास करती हैं. उनकी पहचान और सामाजिक बदलाव के खतरे के मद्देनजर आम लोगों की आवाजाही पर रोक लगाई गई है. यहाँ दाखिल होने के लिए प्रशासन से अनुमति की आवश्यकता होती है. अबूझमाड़ में निवासरत जनजाति मौजूदा आधुनिकीकरण , विकास और पाश्चातय संस्कृति से कोशों दूर है. यहाँ पर पहुंचकर आदिम युग का एहसास होता है.

Advertisement

बस्तर के कोंटा के विधायक कवासी लखमा के मुताबिक अबूझमाड़ के लोग अपना पता ठिकाना बताने के लिए ही छत्तीसगढ़ के नाम का उल्लेख करतेहैं. हकीकत यह है कि अपनी आजीविका के लिए ये आदिवासी पूरी तरह से तेलंगाना पर निर्भर हैं. इंद्रावती नदी पार कर वो वहां के गांव में फारेस्ट प्रोडक्ट बेचते हैं. इलाज भी वही कराते हैं. विधायक लखमा यह भी बताते है कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी ना राज्य सरकार यहां पहुंच पाई है और ना ही केंद्र सरकार. उधर छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय बताते है कि सर्वे के आधार पर ही विकास योजनाए तैयार होती है. कम से कम उनकी सरकार ने इसे गंभीर समझा और सर्वे शुरू कराया. उनके मुताबिक आजादी के बाद से लेकर अब तक अबूझमाड़ सयुंक्त मध्यप्रदेश का हिस्सा रहा. यहाँ करीब 40 सालों तक कांग्रेस की सरकार काबिज रही लेकिन उसने अबूझमाड़ की ओर झांका तक नहीं.

अबूझमाड़ की अबूझ पहली को सुलझाने के लिए पहली बार किसी राज्य सरकार ने यहां सर्वे का काम शुरू किया है. देश का यह एक ऐसा हिस्सा है जिसका कोई लैंड रिकार्ड अभी तक नहीं है. भारत के नक़्शे में भी अबूझमाड़ शामिल नहीं हो पाया क्योंकि इसका कोई मैप आज तक तैयार ही नहीं हुआ. फिलहाल आजादी के बाद पहली बार यहां जनगणना और भू-भाग का आकलन किया जा रहा है. सर्वे के बाद अबूझमाड़ भारत के नक्शे में दिखाई देगा हालांकि यह पूरा हिस्सा नक्सलियों के कब्जे में है. यहाँ पर नक्सलियों के ना केवल बड़े ट्रेनिंग कैम्प है बल्कि वो उनकी शरणस्थलीय भी है. अबूझमाड़ के लोग पूरी तरह जंगल में ही गुजर बसर करते हैं. ना तो वो कभी इस जंगल से बाहर आते है और ना ही अपने इलाके में बाहरी लोगो को दाखिल होने देते है. इनकी पूरी आजीविका इन्हीं जंगलों पर निर्भर है. खाने-पीने से लेकर दैनिक जीवन में काम आने वाली सभी वस्तओं को वो यही रहकर प्राप्त कर लेते है. विकास के नाम पर कुछ एक गांव में आजकल बांस से निर्मित वस्तुओं का भी निर्माण हो रहा है. सरकार को उम्मीद है कि इस सर्वे के बाद अबूझमाड़ के हालात बदलेंगे.

Advertisement

अबूझमाड़ प्राकृतिक रूप से काफी सम्पन्न है. इस इलाके में घना जंगल तो है ही लेकिन इस जंगल में कई प्रजाति के पेड़ पौधे भी है जो सामान्यतः देखने को नहीं मिलते. यहां कई तरह की जड़ी बुटिया भी पैदा होती है. जंगल से निकलने वाली जड़ी बूटियों और लकड़ियों की तस्करी के लिए कई व्यापारी यहाँ चोरी छिपे दाखिल होते है. सरकारी रिकार्ड में ना तो आबादी दर्ज होने से और न ही इलाके का रकबा प्रमणित होने के चलते इस इलाके की विकास की योजनाए तैयार ही नहीं हो पाई. सर्वे के बाद इस इलाके में विकास के कामो की नींव रखी जाएगी .

सर्वे का काम आई आई टी खड़गपुर की टीम के कंधों पर है. दिक्क्त यह है कि इस टीम को यहां सर्वे के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. पल-पल उसका सामना नक्सलियों से हो रहा है. कभी ड्रोन की उड़ान रोकी जा रही है तो कभी नए इलाके में दाखिल होते वक्त नक्सली पाबंदी का सामना करना पड़ रहा है.

Advertisement
Advertisement