बिलासपुर स्थित अचानकमार टाइगर रिजर्व सेंचुरी के एक मुख्य मार्ग को बिलासपुर हाईकोर्ट ने खोलने के निर्देश दिए हैं. करीब डेढ़ साल से यह मुख्य मार्ग वन विभाग ने यह कह कर बंद कर दिया था कि टाइगर रिजर्व सेंचुरी के भीतर से गुजरने वाले इस मार्ग में वाहनों की आवाजाही से वन्य जीवन प्रभावित होते हैं.
यही नहीं, वन विभाग ने कहा था कि टाइगर रिजर्व सेंचुरी में मौजूद शेरों से आम लोगों को भी खतरा हो सकता है. इस मार्ग को अचानक बंद कर देने से टाइगर रिजर्व सेंचुरी के कोर एरिया समेत सैकड़ों गांव की आवाजाही ठप्प हो गयी थी. टाइगर रिजर्व सेंचुरी के भीतर स्थित कई गांवों के लोगों को अनावश्यक सफर तय करना पड़ता था.
सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि बिलासपुर होकर मध्यप्रदेश के रीवा, सतना, शहडोल और सीधे जाने वाले यात्रियों को लगभग 100 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करना होता था. इससे परेशान होकर पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष धर्मजीत सिंह ने बिलासपुर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी.
करीब 6 महीने तक चली सुनवाई के बाद आखिरकर हाईकोर्ट ने वन विभाग के तमाम दावों को निरस्त कर दिया. हाईकोर्ट ने बिलासपुर कलेक्टर के उस निर्देश को भी खारिज कर दिया जिसमें अचानकमार के भीतर स्थित मार्ग को बंद करने का आदेश दिया गया था. टाइगर रिजर्व सेंचुरी के भीतर शिवतराई बैरियर में वन विभाग ने सड़क बंद कर दी थी. हाई कोर्ट के निर्देश के बाद इस सड़क के जल्द खुलने के आसार हैं.
टाइगर रिजर्व सेंचुरी नाममात्र की
एक समय था जब अचानकमार टाइगर रिजर्व सेंचुरी में करीब दो दर्जन शेर चहलकदमी करते थे. सुबह शाम जंगल के कई हिस्सों से शेर की गर्जना सुनाई देती थी. इसके अलावा हिरन, बारहसिंगा, वन भैसे, भालू ,तेंदुआ समेत कई वन्य जीव सहज दिखाई पड़ते थे. लेकिन अब ऐसे हालात नहीं हैं. शेरों का तो नामो निशान नहीं है. हिरन और बाराह सिंगा कहीं-कहीं गाहे-बगाहे दिखाई दे जाते हैं.
दिनों दिन उनकी संख्या भी खत्म होती जा रही है. इस बात से हाईकोर्ट के कई जज ही नहीं बल्कि वन्य जीव प्रेमी भी वाकिफ हैं. इसी माह वन विभाग ने टाइगर रिजर्व सेंचुरी में नाइट विजन कैमरे लगाकर शेरों की गणना बड़े जोरशोर से शुरू की. लेकिन एक भी शेर ढूंढे नहीं मिला. आखिरकर वन विभाग ने खाना पूर्ति कर शेरों की गणना के मामले को जैसे तैसे निपटाया.