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यौन शोषण मामले में IPS अधिकारी पर नहीं हुई कार्रवाई, हाईकोर्ट ने सरकार को भेजा नोटिस

अदालत ने राज्य के डीजीपी और केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस भेजकर दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है.

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बिलासपुर हाईकोर्ट
बिलासपुर हाईकोर्ट

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यौन शोषण मामले में छत्तीसगढ़ के सीनियर आईपीएस अधिकारी और राज्य के एडीजीपी पवन देव पर लगे आरोपों को अदालत ने गंभीरता से लिया है. बिलासपुर हाईकोर्ट ने पीड़ित महिला पुलिसकर्मी की याचिका पर सुनवाई करते हुए आईपीएस अधिकारी के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर सरकार को नोटिस जारी किया है.

साथ ही, अदालत ने राज्य के डीजीपी और केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस भेजकर दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है. मामला लगभग दो साल पुराना है. उस समय पवन देव बतौर आईजी बिलासपुर डिवीजन में पदस्थ थे. आरोप है कि वो एक महिला पुलिसकर्मी को आधी रात फोन करके संबंध बनाने के लिए कहते थे.

पीड़ित महिला पुलिसकर्मी ने उनकी फोन रिकॉर्डिंग कर आलाअफसरों को भेज दिया था और अपने सहकर्मियों को अपनी आपबीती सुनाई थी. उसकी शिकायत के बाद विशाखा कमेटी ने मामले की जांच की. इस कमेटी में तीन महिला आईपीएस अधिकारी और एक सीनियर आईएस अधिकारी शामिल थीं.

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जांच में तमाम घटना सत्य पाई गई. महिला आरक्षक को मोबाइल पर कॉल कर आधी रात को अपने बंगले पर बुलवाना और उसके साथ अभद्रता करने के तथ्य प्रमाणित पाए गए थे. लंबे समय बाद भी जब पवन देव के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पीड़ित महिला ने अदालत का दरवाजा खटखटाया.

एडीजी पवन देव के खिलाफ आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं होने के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और संजय अग्रवाल की युगल पीठ ने सुनवाई करते हुए गृह सचिव, डीजीपी छत्तीसगढ़ और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा है कि आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट पर अब तक क्या कार्रवाई हुई है.

विशाखा कमेटी की जांच रिपोर्ट के बावजूद कार्रवाई नहीं होने पर पीड़िता ने अपनी शिकायत राज्य सरकार, पीएमओ कार्यालय दिल्ली और प्रदेश के डीजीपी से की थी. इसके बाद भी शिकायत पर कार्रवाई नहीं होने पर पीड़िता ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम की धारा 13 का उल्लंघन किए जाने का हवाला देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी.

महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध, प्रतितोष) अधिनियम 2013 के अनुसार, शिकायत की जांच अनिवार्य रूप से 90 दिन के अंदर करनी होगी. इस अधिनियम की धारा 13(4) में प्रावधान है कि जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के 60 दिन के भीतर विभाग प्रमुख को आरोपी व्यक्ति पर कार्रवाई करनी होगी.

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