छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव करीब आते ही विभिन्न सरकारी महकमों में भ्रष्ट्राचार के मामले प्याज के छिलकों की तरह निकल रहे हैं. ताजा मामला कृषि विभाग का है. जाहिर है किसानों के साथ ही धोखाधड़ी और साजिश की संभावना है. हकीकत में हुआ भी यही है. दरअसल किसानों को केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत मिलने वाली सब्सिडी और कृषि यंत्र के वितरण को लेकर बड़े पैमाने पर घोटाला सामने आया है.
मात्र दो जिलों के हजारों किसानों की सब्सिडी किसानों के खातों में आई और गुपचुप निकल भी गई. घोटाला यही नहीं थमा, हजारों किसानों के नाम पर कृषि यंत्रों का वितरण भी हो गया. कागजी खानापूर्ति भी हो गई, लेकिन कृषि यंत्र किसानों के हाथों में नहीं आये. दो जिले कांकेर और बिलासपुर में बड़े पैमाने पर धांधली उजागर हुई है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने राज्य के चीफ सिकरेट्री को शिकायती पत्र लिखकर तत्काल जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है.
राज्य के दो जिलों बिलासपुर और कांकेर में करीब दस हजार से ज्यादा किसानों को सिर्फ कागजों पर ही अनुदान मिल गया. ताज्जुब की बात ये है कि करोड़ों के गोलमाल का खुलासा किसी बाहरी संस्था ने नहीं बल्कि सरकार की ओर से किये गए भौतिक सत्यापन से हुआ है. इस घोटाले के तमाम दस्तावेजों को नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने मुख्य सचिव कार्यालय को सौपा है. सत्यापन रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है कि कृषि विभाग के तहत अनुदान राशि के वितरण में अफसरों व सामग्री वितरित करने वाली फर्म और संस्थाओं ने साठगांठ कर किसानों के नाम से बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की.
उन्होंने सैकड़ों किसानों की सब्सिडी की रकम उन तक पहुंचने ही नहीं दी. विभिन्न कृषि योजनाओं के तहत खाद, यूरिया, कृषि उपकरण, ट्रेक्टर व उन्नत बीज की खरीदी के दौरान मिलने वाली सब्सिडी आपूर्तिकर्ता फर्मों ने खा लिया. यही नहीं हजारों किसानों को कृषि उपकरण मिले ही नहीं. जबकि, सरकारी रिकॉर्ड में उन किसानों के नाम पर कृषि यंत्र मुहैया कराये जाने का ब्योरा दर्ज है. मात्र दो जिलों में किसानों के साथ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी सामने आई है. ऐसे में शेष 27 जिलों का क्या हाल होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
टीएस सिंहदेव ने घोटाले का खुलासा करते हुए कहा है कि किसानों और उनकी योजनाओं से जुड़ा मामला अपने आप में गंभीर है. उनके मुताबिक भौतिक सत्यापन के दौरान ये तथ्य सामने आये हैं कि दोनों जिलों में लाभान्वित किसानों की कुल संख्या 3239 थी, जिनमें 2152 किसानों को योजना का लाभ मिला ही नहीं. उनके अनुदान की राशि निकालकर हड़प ली गयी. जो करीब 50 करोड़ से ज्यादा की है.
सिंहदेव ने आशंका जतायी है की बिलासपुर और कांकेर के अलावा पूरे प्रदेश में इसी तरह का गोलमाल किया गया है. योजना की राशि का जमकर बंदरबांट किया गया है. सिंहदेव ने इस मामले में कई सौ करोड़ के घोटाले की आशंका जतायी है. उनके मुताबिक कई किसानों को योजना के अंतर्गत जो समान मिलना था, उसके बदले कुछ और ही सामान उन्हें थमा दिये गये.
फिलहाल इस घोटाले के सामने आने के बाद कृषि विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. राज्य के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने अभी कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है. उनका तर्क है कि नेता प्रतिपक्ष की शिकायत और आरोपों की जांच के बाद ही वे कुछ कहेंगे.