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पूरे परिवार ने की शरीर दान की घोषणा!

छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के मेडिकल कॉलेज में प्रयोग के लिए अपने शरीर के दाने करने वाले लोगों का सम्मान समारोह शनिवार को आयोजित किया गया. इसकी सबसे खास बात यह रही कि एक ही परिवार के आठ सदस्यों ने शरीरदान के लिए घोषणापत्र भरा.

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छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के मेडिकल कॉलेज में प्रयोग के लिए अपने शरीर दान करने वाले लोगों का सम्मान समारोह शनिवार को आयोजित किया गया. इसकी सबसे खास बात यह रही कि एक ही परिवार के आठ सदस्यों ने शरीरदान के लिए घोषणापत्र भरा.

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कार्यक्रम का उद्घाटन AIIMS (रायपुर) के निदेशक डॉ. नितिन एम. नागरकर ने किया. AIIMS में हुए इस आयोजन में 100 से अधिक लोग शामिल हुए. इनमें साल 2012 से अब तक मौत  के बाद शरीर दान करने वाले 6 लोगों के परिजन भी शामिल थे. इसके अलावा 62 शरीरदान करने की घोषणा करने वाले 62 में से 35 नागरिक भी शामिल हुए. इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धि रही कि यहां पढ़े-लिखे शिक्षित वर्ग से लेकर ग्रामीण महिला-पुरुषों ने इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

कार्यक्रम में बढ़ते कदम सहित 6 समाजसेवी संगठनों में भी हिस्सा लिया. प्रोग्राम खत्म होने के बाद भी लोगों का घोषणापत्र भरना जारी रहा. AIIMS को अपनी स्थापना के बाद अब तक 11 शव दान मिले हैं. साल 2012-13 के बैच में 50 छात्रों को डिसेक्शन के लिए सिर्फ 2 शव ही थे, जबकि एमसीआई गाइडलाइन के मुताबिक शवों की संख्या प्रति 10 छात्र दो होनी चाहिए.

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साल 2012 में पहली बार MBBS फर्स्ट ईयर के छात्रों को डॉक्टरी के काम के लिए मिले प्रकाशचंद चित्रे के शरीरदान पर उनके परिजनों को इस कार्यक्रम में सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में अपने बेटों के साथ उपस्थित स्व. चित्रे की पत्नी शालिनी चित्रे ने भी नम आंखों से अपना शरीर दान देने की घोषणा कर दी.

मिसाल बना राठौर परिवार
कुम्हारी के रहने वाले और खेती-किसानी का काम करने वाला राठौर परिवार छत्तीसगढ़ के लिए एक मिशाल बना हुआ है. इस परिवार के सभी 8 सदस्यों ने अपने शरीरदान के लिए एम्स रायपुर में घोषणापत्र भरा है. इस संबंध में परिवार के मुखिया बाबूभाई राठौर ने बताया कि 1995 में जब वे नागपुर में रहते थे तो उन्होंने अपनी पत्नी के साथ शवदान की शपथ ली थी. उसके बाद परिवार कुम्हारी में बस गया.

बच्चे के बड़े होने और उनकी शादी के बाद बाबूबाई ने शवदान का महत्व समझाया, तो पिता की राह पर चलते बड़े बेटे कार्तिक उनकी पत्नी शीतल, मंझले बेटे अमित, उनकी पत्नी ज्योति और छोटे बेटे शशांक और उनकी पत्नी ईशा ने भी शरीदान की घोषणापत्र करते हुए एम्स में शपथपत्र दे दिया.

एम्स के एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ. डीके शर्मा ने बताया कि अब तक 11 शव दान में मिले हैं. इनमें से 6 शव इस साल मिले हैं, 4 को छात्रों को डिसेक्शन के लिए दिया जाएगा, दो को रिसर्च के लिए रखे हुए हैं. अब तक 61 लोगों ने एम्स में शवदान को लेकर घोषणापत्र भरा है. कुम्हारी परिवार के तो सभी लोग शवदान की शपथ ले चुके हैं.

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