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अंबिकापुर में भालू का उत्पात, 12 घंटे मशक्कत के बाद पकड़ में आया

अंबिकापुर शहर के फुन्दुरडिहारी इलाके में सुबह सैर सपाटे के लिए निकले लोग उस समय हैरत में पड़ गए जब सड़क पर एक भारी भरकम भालू अपने शिकार को तलाश रहा था.

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गिरफ्त में आया भालू
गिरफ्त में आया भालू

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एक जंगली भालू ने सुबह होते ही अंबिकापुर शहर के एक रिहायशी इलाके में अपनी मौजूदगी दर्ज कराकर लोगों को सकते में डाल दिया. यह जंगली भालू अपनी भूख-प्यास मिटाने के लिए हमलावर स्थिति में आ गया था.

भालू को रिहाइशी इलाके में देख लोगों ने अपने घरों के दरवाजे बंद कर लिए. चंद मिनटों में ही पूरे इलाके में वीरानी छा गई. फौरन इसकी सूचना वन विभाग और पुलिस को दी गई. भालू काफी बड़ा और तंदुरुस्त था. लिहाजा उसे काबू में करने के लिए वन विभाग की टीम को कड़ी मशक्क्त करनी पड़ी. पूरे 12 घंटे की जद्दोजहद के बाद जब भालू बेहोश हुआ तब वन विभाग के कर्मियों ने उसे अपने कब्जे में किया.

अंबिकापुर शहर के फुन्दुरडिहारी इलाके में सुबह सैर सपाटे के लिए निकले लोग उस समय हैरत में पड़ गए जब सड़क पर एक भारी भरकम भालू अपने शिकार को तलाश रहा था.

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उसे देखकर कोहराम मच गया. लोग चीख पुकार मचाने लगे. सैर सपाटे में निकले लोग इस भालू को देखकर उल्टे पांव दौड़े. राहगीरों को बचाने के लिए कुछ लोग तो लाठी डंडे तक ले आए. शोरगुल सुनकर भालू एक घर के बगीचे में घुस गया. बगीचे के एक कोने में उसने अपने आप को छिपाने की कोशिश की.

भालू के आने की खबर शहर में 'जंगल में आग' की तरह फैली गई. पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची, फिर शुरू हुआ ऑपरेशन जामवंत.  लगभग 12 घंटे की कड़ी मशक्क्त और ट्रैंक्युलाइजर की दो डोज के बाद भालू बेहोश हुआ.

आमतौर पर ट्रैंक्युलाइजर की एक फूल डोज ही जंगली जानवरों को बेहोश कर देती है. भालू के बेहोश होते ही लोगों ने राहत की सांस ली. वन विभाग की टीम ने उसे पिंजरे में डाला और जंगलों का रुख कर लिया.

भालू को अब तैमोर पिंगला अभ्यारण्य में ले जाकर छोड़ा जाएगा. डीएफओ प्रियंका पांडेय के मुताबिक यह भालू जंगल से भटककर इस इलाके में आया था. उन्होंने बताया कि समय पर सूचना मिल जाने से ना तो जान-माल का नुकसान हुआ और ना ही भालू को कोई नुकसान पहुंचा.  

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