प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही VIP कल्चर खत्म करने की कवायत में जुटे हों लेकिन उनके मंत्री इससे कतई इत्तेफाक नहीं रखते. भले ही आम जनता की जान क्यों ना चली जाए. ताजा मामला बस्तर का है, जहां सरकार की संवेदनशीलता की काफी जरुरत है. राज्य के शिक्षा मंत्री केदार कश्यप इसी इलाके से विधायक हैं.
मंत्री जी की शान में दौड़ती रही एंबुलेंस
दंतेवाड़ा में मंत्री जी सरकारी योजनाओं के तहत बने सरकारी भवनों, इमारतों और पुलों के उट्घाटन और शिलान्यास में दो दिनों तक व्यस्त रहे. मंत्री जी के कार्यकम के लिए बतौर प्रोटोकॉल दो एंबुलेंस ड्यूटी पर तैनात कर दी गईं. सरकारी दिशा निर्देशों के तहत ये दोनों एंबुलेंस मंत्री जी के काफिले के पीछे फर्राटे से दौड़ती रहीं. उधर सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस के नदारद रहने से मरीजों का बुरा हाल होता रहा.
एंबुलेंस के इंतजार में तड़पता रहा बच्चा
दंतेवाड़ा के गीदम में 14 वर्षीय एक स्कूली छात्र खेलते वक्त करंट की चपेट में आ गया. वो करीब 55 फीसदी तक झुलस चुका था. गीदम के प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में मामूली उपचार देने के बाद पीड़ित छात्र को डॉक्टर ने बस्तर के मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया. लेकिन बच्चे को अस्पताल तक ले जाने के लिए घंटों एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ा. 108 सेवा यानी एबुलेंस मंत्री जी के दौरे में व्यस्त रही. दंतेवाड़ा जिला अस्पताल की दूसरी एंबुलेंस की भी ड्यूटी मंत्री जी के कार्यक्रम के तहत उनके काफिले में दौड़ती रही. डाक्टरों ने प्रोटोकॉल का हवाला देकर अपने हाथ खड़े कर दिए. इधर मरीज के परिजन के पास इतनी भी रकम नहीं थी कि वो निजी तौर पर कोई वाहन किराये पर ले सकें. स्थानीय लोगों ने प्राइवेट वाहन उपलब्ध कराने के लिए हाथ पांव मारे, लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाए.
स्थानीय लोगों ने डॉक्टरों पर बनाया दबाव
जब लोगों ने डॉक्टरों को आड़े हाथों लिया तो दंतेवाड़ा के किसी और अस्पताल से एक एंबुलेंस मुहैया हुई. इसके जरिए पीड़ित छात्र को बस्तर मेडिकल कॉलेज रवाना किया गया. बताया जा रहा है कि पीड़ित छात्र भीमराज करीब तीन घंटे तक तड़पता रहा. उसकी हालत में लगातार गिरावट आती रही. यदि स्थानीय लोगों ने डॉक्टरों पर दबाव नहीं बनाया होता तो शायद भीमराज की जान बचना मुश्किल था.
स्वास्थ सेवाएं जर्जर होने के बावजूद मंत्री को मिलीं दो एंबुलेंस
फिलहाल बस्तर मेडिकल कॉलेज में तैनात डॉक्टर उसकी जान बचाने में कामयाब रहे. भीमराज अभी भी आईसीयू में भर्ती है. लेकिन दूसरी ओर मंत्रियों के ठाट बाट को लेकर यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या मंत्रियों को एंबुलेंस की जरुरत ज्यादा है. वो भी ऐसे इलाके में जहां स्वास्थ सेवाएं जर्जर हालत में हैं. यही नहीं क्या मंत्री जी की शान-शौकत और प्रोटोकॉल के लिए एक एंबुलेंस पर्याप्त नहीं है, जो अफसरों ने उन्हें दो एंबुलेंस मुहैया करायीं.
मंत्री जी ने मामले से मुंह मोड़ा
उधर जब इस घटना की जानकारी शिक्षा मंत्री केदार कश्यप को हुई तो उन्होंने पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया. मंत्री जी ने दो टूक कह दिया कि दो एंबुलेंस क्यों लगाईं गयीं, प्रोटोकॉल वालो से पूछो. उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है. यही नहीं मंत्री जी इस मामले में ना तो कैमरे के सामने कुछ कहने को तैयार हैं और ना ही सामान्य शिष्टाचार के तहत बातचीत के लिए तैयार हैं.