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कुंए में गिरा हाथी, जान बची लेकिन रीढ़ की हड्डी टूटी

दरअसल हाथियों के दल ने दाना-पानी की तलाश में एक ग्रामीण के घर धावा बोला था. इस दल में दो दर्जन से ज्यादा हाथी थे. हमले के वक्त ग्रामीण बस्ती छोड़ सुरक्षित ठिकानों की ओर भाग रहे थे. उन ग्रामीणों को खदेड़ने में जुटी यह हथिनी अचानक एक सूखे कुएं में जा गिरी. दो दिनों तक वो कुएं में घायल अवस्था में पड़ी रही.

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घायल हाथी (फाइल फोटो)
घायल हाथी (फाइल फोटो)

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छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के एक जंगल में घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार कुएं में गिरी हथिनी को बाहर निकाल लिया गया, यह हथिनी अपने दल से बिछड़ गई थी. ये उस झुण्ड में शामिल थी जिस दल के हाथियों ने जंगल में बसे गांव में कोहराम मचा रखा है.

दरअसल हाथियों के दल ने दाना-पानी की तलाश में एक ग्रामीण के घर धावा बोला था. इस दल में दो दर्जन से ज्यादा हाथी थे. हमले के वक्त ग्रामीण बस्ती छोड़ सुरक्षित ठिकानों की ओर भाग रहे थे. उन ग्रामीणों को खदेड़ने में जुटी यह हथिनी अचानक एक सूखे कुएं में जा गिरी. दो दिनों तक वो कुएं में घायल अवस्था में पड़ी रही.

गांव वालों की सूचना के बाद वन विभाग और विशेषज्ञों की टीम ने दो दिनों की कवायद के बाद उसे बाहर निकाला. हाथी का रेस्क्यू ऑपरेशन क्रेन और बेल्ट की मदद से किया गया.

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मामला प्रतापपुर वर्द्फनगर मार्ग पर घाट पेंडारी के पास नवाधक्की गांव का है. जहां दो दिन पहले रात में हाथियों के दल से बिछड़कर एक हथिनी सूखे कुंए में गिर गई थी. कुंए में गिरने से हथिनी का पैर फैक्चर हो गया था. उसके पेल्विक बोन में भी गंभीर चोट लगी थी, जिसके चलते वो कुंए के बाहर नहीं निकल पा रही थी.

भारी भरकम शरीर होने के चलते वो अभी भी अपनी जगह से टस से मस नहीं हो पा रही है. डॉक्टरों ने इलाज के दौरान साफ कर दिया है कि उसकी हालत खतरे में है. वन्य जीव प्रेमी गोपाल दास ने इस घटना पर आपत्ति दर्ज कराते हुए वन विभाग को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा है कि जंगली हाथियों के लिए कॉरिडोर नहीं बनाने के चलते इंसानो और हाथियों के बीच संघर्ष हालात बन रहे है.

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