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CBI की क्लोजर रिपोर्ट को छत्तीसगढ़ HC में चुनौती, अजीत जोगी संग 4 हुए थे बरी

सीबीआई ने अपनी जांच में षड्यंत्र तो पाया लेकिन सबूत के अभाव में 2012 और जनवरी 2017 में क्लोजर रिपोर्ट अदालत को सौंप दी. नतीजतन अजीत जोगी इस मामले में दोषमुक्त हो गए.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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छत्तीसगढ़ में सीबीआई की एक क्लोजर रिपोर्ट से एक बार फिर राजनीति गरमा गई है. मामला सन 2003 का है जब तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी बीजेपी विधायकों की खरीदफरोख्त के मामले में फंसे थे. इस दौरान बीजेपी नेता राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, संजय जोशी और डॉक्टर रमन सिंह के जरिए विधायकों को दी गई 45 लाख की रकम की जब्ती कराई गई और उसे पुलिस को सौंपा गया था. तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने बीजेपी विधायकों की खरीदफरोख्त के इस मामले की सीबीआई जांच के निर्देश दिए थे.

सीबीआई ने अपनी जांच में षड्यंत्र तो पाया लेकिन सबूत के अभाव में 2012 और जनवरी 2017 में क्लोजर रिपोर्ट अदालत को सौंप दी. नतीजतन अजीत जोगी इस मामले में दोषमुक्त हो गए. अब यह मामला नए सिरे से उठ गया है. इस मामले के मूल शिकायतकर्ता वीरेन्द्र पांडेय ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अर्जी लगाई है कि जब जोगी दोषी नहीं है तो तमाम बीजेपी नेताओं के खिलाफ षड्यंत्र करने का मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए.

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विधायक खरीद फरोख्त मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को क्लीन चिट दिये जाने के खिलाफ वीरेन्द्र पांडेय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है |  उन्होनें इस मामले में सीबीआई के क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती देते हुए मामले के नये सिरे से जांच की मांग की है. पांडेय ने अपनी याचिका में कहा है कि यदि जोगी निर्दोष हैं, तो वीरेन्द्र पांडेय के साथ-साथ तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और डॉ रमन सिंह के खिलाफ भी मुकदमा चलाया जाना चाहिए.

मामला 2003 का है जब विधायक खरीद-फरोख्त मामले को वीरेन्द्र पांडेय ने ही उजागर किया था और फिर इसके बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी.  सीबीआई ने इस मामले में अजीत जोगी, अमित जोगी, पूर्व सांसद पीआर खूंटे सहित खूंटे के पुत्र ओमप्रकाश खूंटे के खिलाफ अपराध दर्ज किया था.  लंबी जांच प्रक्रिया के बाद सीबीआई ने मार्च 2012 और फिर जनवरी 2017 को कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी थी और आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था. इस क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती देते हुए वीरेन्द्र पांडेय ने अधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के माध्यम से चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि क्लोजर रिपोर्ट में षड्यंत्र तो माना गया है लेकिन आरोपियों को क्लीन चिट दे दी गई है.

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पांडेय ने याचिका में कहा है कि यदि षड्यंत्र हुआ है तो इसके भागीदार हम सभी हैं. उन्होंने कहा कि तत्कालीन उप प्रधानमंत्री ने मामले का खुलासा करने के लिए अरुण जेटली को रायपुर भेजा था और इस पूरी प्रक्रिया में उनके साथ राजनाथ सिंह, संजय जोशी और डॉ. रमन सिंह भी थे. इसलिए यदि षड्यंत्र में हम सब शामिल हैं तो इसकी जांच कर हम सभी के खिलाफ मुकदमा चलाया जाये.

 

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