छत्तीसगढ़ में रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी के राजनीति में आने के बाद कोंडागांव जिले के कलेक्टर साहब भी अपना रंग बदलने लगे हैx.
कोंडागांव कलेक्टर नीलकंठ टेकाम के भी आईएएस पद से इस्तीफा देकर राजनीति में आने की अटकलें तेज हो गई हैं. कयास लगाया जा रहा है कि वे बीजेपी का दामन थाम सकते है. इसके लिए वो मुख्यमंत्री रमन सिंह के संपर्क में हैं. वह बीजेपी प्रवेश और कोंटा या कोंडागांव विधानसभा सीट से अपना भाग्य आजमाने की तैयारी में हैं.
पहले भी राजनीति में मारी थी एंट्री
संयुक्त मध्य प्रदेश के दौरान भी इस नौकरशाह ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उस वक्त वे मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में एसडीएम के पद पर तैनात थे. सेवा में रहने के दौरान उन्होंने हजारों लोगों के साथ जुलुस की शक्ल में कलेक्टर दफ्तर पहुंचकर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया था.
हालांकि सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया, नतीजतन वे नौकरी में बने रहे. उस दौरान उन्होंने टिकट पाने के लिए कांग्रेस से जोड़तोड़ की थी. टेकाम के इस फैसले से कांग्रेस की राजनीति में खलबली मच गई थी, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कुछ आदिवासी नेताओं ने हस्तक्षेप कर उनका नामांकन वापस करवाया था.
लेकिन अब बदले माहौल को देखते हुए टेकाम बीजेपी के मुरीद हो गए हैं. बताते हैं कि वे जहां कही भी पदस्थ होते हैं, अपनी कार्यप्रणाली से वे इतने लोकप्रिय हो जाते हैं कि स्थानीय लोगों में उन्हें नेता की छवि दिखाई देने लगती है. यह भी बताया जा रहा है कि नक्सल प्रभावित कोंडागांव जिले में भी यही हाल है.
आदिवासी समुदाय में लोकप्रिय
कलेक्टर साहब कांग्रेस और बीजेपी दोनों में खासे लोकप्रिय हैं. आदिवासी समुदाय का होने के नाते कई आदिवासी संगठन उनके सीधे संपर्क में हैं. लिहाजा वो विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमाने के लिए मौके की तलाश में हैं.
नीलकंठ टेकाम ने बस्तर के कोंटा या फिर कोंडागांव के आलावा कांकेर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है. उनके करीबियों का दावा है कि बीजेपी नेताओं के साथ दो दौर की पुख्ता बातचीत हो चुकी है. अंतिम फैसला मुख्यमंत्री रमन सिंह को लेना है जो कभी भी हो सकता है.
नीलकंठ टेकाम कांकेर जिले के अंतागढ़ के हीरामी गांव के रहने वाले हैं. वे पढाई-लिखाई के दौरान छात्र राजनीति में काफी सक्रिय रहे हैं. कांकेर के सरकारी कॉलेज में वे छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे. आदिवासी होने के कारण उनका बस्तर इलाके में खासा प्रभाव है.
बीजेपी भी जुगाड़ में
बीजेपी इस कोशिश है कि एक और आईएएस अधिकारी को राजनीति के मैदान में उतारा जाए. हालांकि बीजेपी ने उनकी पार्टी में प्रवेश की बातचीत की ना तो पुष्टि की और न ही नीलकंठ टेकाम ने खुद इस मामले को लेकर अपना कोई पक्ष रखा है. वे राजनीति में प्रवेश के सवालों को टाल रहे हैं.जाहिर है उनके इस रुख से उनके राजनीति में प्रवेश की अटकलें सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बनी हुई है. इसे प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने और हवा दे दी है. उन्होंने कहा है कि और भी कई आईएएस अधिकारी चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. उन्होंने इस बाबत पार्टी को आवेदन भी किया है. इस पर विचार-विमर्श चल रहा है, लेकिन उन्होंने किसी भी आईएएस अधिकारी के नाम का खुलासा नहीं किया.