छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव कार्य में लगे अफसरों खासतौर पर आईएएस अधिकारियों को चुनाव पूर्व कड़े इम्तिहान से गुजरना होगा. दरअसल, भारतीय निर्वाचन आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों और उपनिर्वाचन अधिकारियों की एक परीक्षा लेने का फैसला लिया है.
इस परीक्षा में चुनाव प्रक्रिया संबंधी कार्यों से लेकर मतगणना और निर्वाचित प्रतिनिधियों को प्रमाण पत्र जारी करने संबंधी सवालों का जवाब देना होगा. इस परीक्षा के जरिये निर्वाचन आयोग अपने अधिकारियों की दक्षता से वाकिफ होगा. आयोग की नजरों में खरा उतरने वाले अफसरों को ही अपने क्षेत्रों में चुनाव करवाने का मौका मिलेगा. वहीं जो आयोग की नजर में योग्य नहीं होंगे उस अधिकारी को जिले से हटाकर किस दूसरे योग्य अफसर को चुनाव संचालन की जिम्मेदारी दी जाएगी.
हालांकि परीक्षा की तारीख अभी तय नहीं हुई है लेकिन रायपुर, बिलासपुर और बस्तर में भारतीय निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षकों की निगरानी में यह परीक्षा होगी. चुनाव संबंधी कार्यों और लेखा-जोखा वाला प्रश्नपत्र मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी दिल्ली के कार्यालय ने तैयार किया है.
इस परीक्षा में छत्तीसगढ़ के सभी 27 जिलों के कलेक्टर, अतिरिक्त और उपनिर्वाचन अधिकारी समेत करीब 500 चुनाव अधिकारी शामिल होंगे. परीक्षा में कामयाब होने वाले अफसरों को राज्य की सभी 90 विधानसभा सीटों में चुनाव संपन्न कराने का मौका मिलेगा.
इस परीक्षा का मकसद यह भी बताया जा रहा है कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद कई तरह के उल्लंघन के मामले बतौर शिकायत दर्ज होते हैं. इस दौरान जिला निर्वाचन पदाधिकारी और सहायक निर्वाचन अधिकारियों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण होती है. नामांकन फार्मों के भरने, बी फॉर्म और आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों की सुनवाई और उनके फैसलों में जरा सी चूक या फिर कानूनन विसंगतियों को अदालत में दी जाने वाली चुनौती से चुनाव आयोग की छवि खराब होती है.
बता दें कि हाल ही में हैदराबाद स्थित पुलिस अकादमी में कई आईपीएस अधिकारी विभागीय परीक्षा में फेल हो गए थे. इससे उनकी कार्य कुशलता की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लग गया था. पुलिस अकादमी में आईपीएस अधिकारियों की नाकामयाबी की खबर देश भर में सुर्ख़ियों में रही.