छत्तीसगढ़ के चर्चित नान घोटाले में जांच एजेंसी आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो को हाईकोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने तीन गवाहों को अभियुक्त बनाने के निर्देश देकर जांच एजेंसियों को कटघड़े में खड़ा कर दिया है.
राज्य के नागरिक आपूर्ति निगम में करीब 100 करोड़ रुपये के घोटाले में दर्जन भर से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी इन दिनों हवालात की सैर कर रहे हैं. तीन साल पहले हुए इस घोटाले में दो IAS अधिकारी भी नामजद हैं. हालांकि केंद्र से इजाजत नहीं मिलने के चलते जांच एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया और ना ही दोनों अधिकारियों से अब तक वैधानिक पूछताछ की गई है. इनमें से एक आईएएस अधिकारी के चेंबर से EOW ने लगभग 90 लाख की रकम बरामद की थी.
इस घोटाले की आंच में कई नेता भी आ गए थे. लिहाजा जांच एजेंसी को कथित रूप से अपनी जांच कमजोर करनी पड़ी. उसने ऐसे तीन आरोपियों को गवाह बना दिया, जिनके पास से कमीशन की रकम बरामद हुई थी.
EOW ने 15 जुलाई, 2015 को अदालत में जो चार्जशीट दाखिल की थी, उसमें नागरिक आपूर्ति निगम के तीन अफसरों गिरीश शर्मा, अरविंद ध्रुव और जीत राम यादव को मुख्य गवाह बनाया गया था, जबकि इन तीनों अफसरों ने अपने बयान में कहा था कि उन्हें घूस की इस रकम में हिस्सा मिलता था.
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद इन तीनों अफसरों को बतौर आरोपी सम्मन जारी करने के निर्देश दिए. अदालत ने यह भी कहा कि बरसों से भ्रष्टाचार में शामिल व्यक्ति गवाह नहीं बन सकता. जबकि EOW ने अपनी जांच के दौरान यह कहा था कि वह किसे गवाह बनाए या अभियुक्त यह उसका अधिकार है. फिलहाल हाईकोर्ट के निर्देश के बाद लोगों में आशा जगी है कि भ्रष्ट अफसरों की अब खैर नहीं.