छत्तीसगढ़ के कई लोग निपाह वायरस के खतरे के कारण केरल जाने का टिकट रद्द करा रहे हैं. लोगों में निपाह वायरस का खौफ इस कदर बढ़ गया है कि वे विभिन्न सोशल साइट से बुक कराई गई होटलों से भी बुकिंग वापस ले रहे हैं.
बता दें छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए देश के भीतर सैर सपाटे के लिए केरल पहली पसंद है. लोग भारी संख्या में यहां मौज मस्ती के लिए पहुंचते हैं. कई ऐसे घर परिवार भी हैं जो स्वयं के वाहनों से केरल के विभिन्न टूरिस्ट प्लेस में कई कई दिनों तक डेरा डाले रहते हैं, लेकिन अब निपाह वायरस उन्हें केरल जाने से रोक रहा है.
एक कंपनी के ट्रैवल्स संचालक महेश कुकरेजा के मुताबिक इसकी बड़ी वजह यह है कि केरल के कोझिकोड, मल्ल्पुरम, वायनाड और कन्नूर जिले में यात्रा नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं. लिहाजा संक्रमण के मद्देनजर अब यात्री कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते.
इसके कारण रोजाना अकेले रायपुर से लगभग 50 लोग अपनी बुकिंग रद्द कर रहे हैं, जबकि राज्य के दूसरे शहरों से टिकट रद्द कराने का आंकड़ा रोजाना 200 के पार पहुंच गया है.
केरल में मानसून ने दस्तक दे दी है. राज्य के ज्यादातर लोग ऐसे समय ही केरल जाने का प्रोग्राम बनाते है. इसके अलावा गर्मी की छुट्टी होते ही मार्च, अप्रैल, मई और जून माह में केरल घूमने की टूरिस्ट कोच खचाखच भरी होती है, लेकिन अब हाल यह है कि टूरिस्ट ढूंढ़े नहीं मिल रहे हैं. कई ऐसे टूरिस्ट हैं, जिन्होंने निपाह वायरस के खौफ के चलते अपनी केरल यात्रा बीच में ही रद्द कर दी. बता दें रायपुर से केरल के लिए सीधी फ्लाइट नहीं है, इसके बावजूद हर साल बड़ी संख्या में यात्री छुट्टियां मनाने केरल पहुंचते हैं.
रायपुर में एक और ट्रैवल्स एजेंसी के संचालक शशिकांत साहू ने बताया कि रायपुर से केरल यात्रा के लिए दो से छह महीने पहले योजना बना चुके कई यात्रियों ने बुकिंग रद्द करा ली है. उनके मुताबिक किफायती दामों और पैकेज के तहत ऐसे यात्रियों ने कई महीने पहले से अपना टूर प्रोग्राम बना रखा था.
उधर छत्तीसगढ़ के कई शहरों में केरल की प्राकृतिक छटा की तर्ज पर छिंद के पेड़ लगे हैं. रायपुर के अलावा अंबिकापुर, सरगुजा, बस्तर, दुर्ग और बिलासपुर में जंगलों के साथ साथ तालाबों के इर्द गिर्द छिंद के पेड़ बहुसंख्यक मात्रा में पाए जाते हैं.
इस पर लगने वाले फलों को पक्षियों के अलावा स्थानीय लोग भी खाते हैं, लेकिन लोगों के बीच ऐसी अफवाह फैली है कि वे उसके आसपास से गुजरना भी पसंद नहीं कर रहे हैं. उन्हें अंदेशा है कि छिंद के पेड़ में चमगादड़ों का वास होता है. लिहाजा वो निपाह वायरस के शिकार हो सकते हैं.
पर्यावरणविद अजय मिश्रा के मुताबिक छत्तीसगढ़ में छिंद के पेड़ों में अभी तक चमगादड़ नहीं देखे गए हैं. वो बताते हैं कि लावारिस इमारतों और ऐसी इमारतों पर जहां पर घुप अंधेरा होता है, वहां ही अक्सर चमगादड़ पाए जाते हैं. उनके मुताबिक घने जंगलों के भीतर जहां चौबीस घंटे नमी बनी रहती है और सूर्य की किरणें कम ही पहुंच पाती हैं, उन पेड़ों में भी चमगादड़ अपना ठिकाना बना लेते हैं.
छत्तीसगढ़ में अलर्ट
निपाह वायरस के खतरे को भांपते हुए छत्तीसगढ़ में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है. राज्य महामारी नियंत्रक की ओर से भी इस संबंध में आदेश जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति पर निपाह वायरस संबंधित लक्षण दिखने पर 21 दिनों तक उसे गहन चिकित्सा में रखा जाए. साथ ही मरीज के खून, यूरिन सैंपल राष्ट्रीय वॉयरोलॉजी संस्थान, पुणे भेजने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं.
निपाह वायरस के खतरे की वजह से ना सिर्फ केरल बल्कि कर्नाटक और तेलंगाना में भी असर हुआ है. तेलंगाना की सरहद छत्तीसगढ़ से जुडी हुई है. रोजाना दोनों राज्यों के बीच सड़क और वायु मार्ग से आवाजाही होती है. इसके चलते राज्य सरकार ने यहां भी अलर्ट जारी किया है.