जगदलपुर से सटे आडावाल गांव में अपनी कसक पूरी करने के लिए एक व्यक्ति ने पहले तो चाय समोसे बेचकर लाखों रुपये कमाए फिर अपनी सारी कमाई स्कूल को दान कर दी.
आडावल गांव में टीन के शेड के नीचे आठवीं पास अरविंद एक छोटी सी चाय और समोसे की दुकान चलाते हैं. उनकी दुकान से कुछ कदम की दूरी पर आदिम जाति कल्याण विभाग का स्कूल है. इस दुकान के जरिए छोटी छोटी बचत करके उन्होंने करीब डेढ़ लाख रुपये जुटाए और फिर इसे स्कूल को दे दिए. ऐसा अरविंद महज इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि गरीबी के कारण वो खुद आठवीं के बाद पढ़ नहीं पाए.
ओरना कैंप मोहल्ले में रहने वाले अरविंद बताते हैं कि रोज उनके सामने से कई ऐसे बच्चे निकलते थे, जिनके पास पढ़ने के लिए न पूरी किताबें थी, न अच्छी ड्रेस. मुझे यह देखकर बुरा लगता था. मदद भी करना चाहता था, लेकिन घबराता था कि अगर वह किसी बच्चे को मदद की पेशकश करेंगे, तो लोग क्या कहेंगे. एक दिन स्कूल ड्रेस वितरण का कार्यक्रम देखा. पूछताछ की, तो पता चला कि किसी ने बच्चों को पांच हजार रुपए के ड्रेस दान में दिए हैं.
अरविंद बताते हैं कि फिर मैंने भी स्कूल के शिक्षक से कहा कि वह भी बच्चों की कुछ मदद करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि उनके माता, पिता और पत्नी इस दुनिया में नहीं है, इसलिए मैंने उनकी याद में गरीब बच्चों के लिए डेढ़ लाख रुपये दान कर दिए. अरिवंद ने इस रकम को 26 जनवरी के दिन स्कूल में आयोजित समारोह के दौरान प्रिंसिपल एएन राव को दी.
यहां के शिक्षकों का कहना है कि अरविंद की ओर से दी गई रकम को बैंक में डिपॉजिट कर दिया गया है. इससे मिलने वाले ब्याज से वे प्रतिवर्ष गरीब बच्चों की मदद करेंगे. शिक्षक आदेश थंथराटे और एस मोहंती बताते हैं कि अरविंद दुकान के सामने से गुजरने वाले कई स्कूली बच्चों को अक्सर मुफ्त में नाश्ता भी कराते हैं.