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हिंदू पत्नी को पाने SC पहुंचा पत‍ि, छत्तीसगढ़ सरकार से मांगा जवाब

हिंदू धर्म अपना कर शादी करने के मामले ने उस समय तुल पकड़ा जब इस शादी की खबर अंजलि के परिजनों तक पहुंची. चंद दिनों बाद लड़की के परिजनों ने बड़ी चालाकी से अंजलि को अपने घर बुलाया और फिर बंधक बना लिया.

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आर्यन आर्य और अंजलि जैन
आर्यन आर्य और अंजलि जैन

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छत्तीसगढ़ में 23 साल की एक हिंदू लड़की से शादी करने के लिए मुसलमान से हिंदू बन गये 33 वर्षीय एक व्यक्ति ने अपनी प्रेमिका को उसके माता-पिता के कब्जे से आजाद कराने की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़ की पीठ ने छत्तीसगढ़ सरकार से जवाब मांगा है और याचिका की प्रति राज्य सरकार के वकील को देने का निर्देश दिया है.

पीठ ने कहा, छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के पुलिस अधीक्षक को प्रतिवादी नंबर 4, अशोक कुमार जैन की बेटी अंजलि जैन को 27 अगस्त,2018 को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया जाता है.  पीठ ने अदालत के अधिकारियों को इस आदेश की प्रति पुलिस अधीक्षक को भेजने का निर्देश दिया है.

हिंदू बनकर आर्यन आर्य नाम अपना चुके मोहम्मद इब्राहिम सिद्दीकी ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है और कहा है कि उसने उसकी पत्नी के परिवार को उसे मुक्त करने का आदेश देने से इनकार कर गलती की है. उसने कहा कि उसकी और उसकी पत्नी की जान पर खतरा है. उसकी पत्नी को उसके माता-पिता उसकी मर्जी के विरुद्ध स्वतंत्रता से वंचित कर रहे हैं। उसे भी उसकी पत्नी के घरवाले और समाज के कुछ अन्य कट्टरपंथी तत्व धमकी दे रहे हैं.

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उसने कहा कि उसकी पत्नी ने उच्च न्यायालय में कहा कि वह 23 साल की है और बालिग है तथा अपनी मर्जी से उसने उससे शादी की है. उच्च न्यायालय ने उसे अपने माता-पिता के साथ रहने या छात्रावास में उसके रहने का इंतजाम कराने का निर्देश दिया. दोनों ने 25 फरवरी, 2018 को रायपुर में एक आर्य समाज मंदिर में शादी की थी.

दरअसल एक हिंदू लड़की से शादी के लिए मुस्लिम युवक ने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया था. इस प्रेमी युगल ने रायपुर के आर्य समाज मंदिर में शादी की थी, लेकिन शादी के बाद इस दंपत्ति की खुशियां उस समय बिखर गईं जब लड़की को उसके परिजनों ने अपने कब्जे में ले लिया.

पति ने बिलासपुर हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर अपनी पत्नी की वापसी की गुहार लगाई. मगर पति को हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली. अब उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उसकी दलील है कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हादिया केस के क़ानूनी पहलुओं को नजरअंदाज कर अपना फैसला दिया है. इसी दलील के आधार पर इस युवक ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. इस याचिका में कहा गया है कि लड़का और लड़की बालिग हैं, दोनों पढ़े लिखे हैं और एक दूसरे को चाहते हैं. ऐसे में किसी को कानूनन क्या आपत्ति हो सकती है.

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