हो सकता है कि आपकी मासिक आमदनी 8 हजार रुपये महीना हो, लेकिन छत्तीसगढ़ में कुत्तों को पकड़ने के लिए इतना पैसा हर रोज उड़ाया जा रहा है.
यहां नगर निगम प्रशासन कुत्तों की संख्या और उनके आतंक को कम करने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है. अभियान चलाकर हजारों कुत्तों को पकड़ने का दावा कर रहा निगम चार महीने में 10 लाख रुपये खर्च कर चुका है. इसके बाद भी राजधानी में कुत्तों का आतंक बदस्तूर जारी है. मार्च में एक मासूम की मौत के बाद लगातार दर्जनों मासूम कुत्तों के हमले से घायल हो चुके हैं.
नगर निगम एक कुत्ता पकड़कर शहर से बाहर छोड़ने में औसतन 350 रुपये खर्च कर रहा है. प्रतिदिन करीब 8 हजार रुपये खर्च किया जा रहा है. इसके बाद भी शहर में बच्चों पर कुत्तों के हिंसक हमले जारी हैं. चार महीने में तीन दर्जन बच्चों पर कुत्ते जानलेवा हमले कर चुके हैं.
सरकारी एजेंसियां राजधानी में कुत्तों के आतंक से निपटने का एक ही उपाय कर सकी हैं, वह है इन्हें पकड़कर शहर से बाहर छोड़ने का. लेकिन यह भी कारगर साबित नहीं हुआ है. कुत्तों के आतंक और लौट आने की शिकायतों पर नगर निगम असहाय हो गया है. निगम अफसर अब कुत्तों की नसबंदी करने पर विचार कर रहा है.
इस मुद्दे पर रायपुर नगर निगम के आयुक्त अवनीश कुमार शरण ने कहा, 'हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि कुत्तों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में पकड़ा जा सके. कुत्तों की संख्या कम करने के लिए उनकी नसबंदी पर भी विचार किया जा रहा है. इस समस्या से निपटने के तमाम स्वाभाविक उपायों पर अमल किया जा रहा है.'