छत्तीसगढ़ में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के RSS के कार्यक्रमों में शामिल होने पर लगी रोक हटा ली गई है. अब सरकारी कर्मचारी बेहिचक RSS के पथ संचालन के अलावा अन्य
कार्यक्रमों में शामिल हो सकेंगे. राज्य में अब तक उनके RSS के गतिविधियों पर शामिल होने पर रोक लगी हुई थी.
कांग्रेस ने राज्य की बीजेपी सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए
भगवाकरण का आरोप लगाया है. उधर सरकार की दलील है कि RSS गैर राजनीतिक और एक राष्ट्रवादी दल है. ऐसे में देश का हर नागरिक उसके कार्यक्रमों में शिरकत कर सकता है.
राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने मई 2000 के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों के संघ के गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था. सरकार
ने ये स्पष्ट कर दिया है कि सिविल सेवा आचरण अधिनियम 1965 के नियम 5 का प्रतिबंध सिर्फ राजनैतिक दलों पर लागू होता है. राष्ट्रवादी और सांस्कृतिक संगठनों पर नहीं.
सरकार के मुताबिक संघ ने आजादी के समय से ही अपनी सामाजिक और सांस्कृतिक भूमिका निभाई है. लिहाजा इसकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए सरकार से इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ जब मध्य प्रदेश का हिस्सा था तब के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने संघ के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के हिस्सा लेने पर रोक लगा दी थी. अलग राज्य बनने के बाद भी ये रोक जारी रही लेकिन संघ की आपत्ति के बाद हरकत में आई BJP सरकार ने प्रतिबंध हटा लिया.