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छत्तीसगढ़ में मानसून की बेरुखी से मायूस हुए किसान

राज्य के कृषि विभाग के संचालक एम एस केरकटर के मुताबिक सामन्यतः बोनी के लिए दस सेंटीमीटर बारिश की जरुरत होती है. वरना बीजो का अंकुरण प्रभावित होने की आशंका बढ़ जाती हैं फिलहाल मानसून के रुख को देखते हुए उन्होंने किसानो को बारिश का इन्तजार करने को कहा है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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छत्तीसगढ में मानसून के सक्रीय नहीं होने से लोगों की बेचैनी बढ़ गई है. अभी हालात ऐसे बने हुए है जैसे की भीषण गर्मी का दौर चल रहा हो. राज्य के तमाम इलाको के तापमान 42 और 43 डिग्री के बीच स्थिर है. गर्मी और उमस के चलते लोग परेशान हैं आमतौर पर जून के पहले हफ्ते में ही राज्य में बारिश का दौर शुरू हो जाता है.लेकिन इसबार ना तो प्री मानसून वाली बारिश हुई और ना ही मानसून के समय पर आने के आसार दिख रहे हैं.

राज्य के कृषि विभाग के संचालक एम एस केरकटर के मुताबिक सामन्यतः बोनी के लिए दस सेंटीमीटर बारिश की जरुरत होती है. वरना बीजो का अंकुरण प्रभावित होने की आशंका बढ़ जाती हैं फिलहाल मानसून के रुख को देखते हुए उन्होंने किसानो को बारिश का इन्तजार करने को कहा है.

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छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में किसानों को लगातार दो साल से सूखे का सामना करना पड़ा है. पिछले साल मानसून में हुई देरी से कई इलाको में फसले बरबाद हुई थीं और इसबार भी मानसून की लेट लतीफी पहले जैसे हालात ना बना दे इस आशंका से किसान भयभीत हैं.

छत्तीसगढ़ में इसबार 70 हजार हेक्टेयर से ज्यादा के रकबे में धान की बुआई की तैयारी की गई है. जो की पिछले वर्ष की तुलना में 60 हजार हेक्टेयर ज्यादा है. राज्य भर में किसानो ने बुआई की तैयारी कर ली है.कई इलाको में किसानो ने यूरिया भी सहेज कर रखा है. लेकिन मानसून की दगाबाजी से वो हैरत में हैं. बस्तर और सरगुजा संभाग के ज़्यदातर हिस्सों में पिछले 48 घंटो में हल्के बादल छाए हैं. कही-कही पर बूंदा बांदी भी हुई है लेकिन जोरदार बारिश नहीं हुई जिसकी सबसे ज्यादा जरुरत है.

मौसम विभाग की माने तो आने वाले तीन चार दिनों में बारिश की संभावना है. फिलहाल किसान बारिश की आस में टकटकी लगाए आसमान को निहार रहे है.

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