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छत्तीसगढ़: वेतन बढ़ोतरी की मांग को लेकर 1.5 लाख आंगनवाड़ी महिला कार्यकर्ता हड़ताल पर

अपनी गुहार लगाते हुए आंगनबाड़ी  कार्यकर्ताओं ने सरकार का ध्यान कई बार अपने वेतनमान में वृद्धि की ओर खींचा, लेकिन सरकार ने ना तो उनकी सुविधाएं बढ़ाईं और ना ही वेतन.

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हड़ताल पर बैठी महिलाएं
हड़ताल पर बैठी महिलाएं

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छत्तीसगढ़ में बीस हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों में कामकाज ठप्प पड़ गया है. इन आंगनबाड़ी केंद्रों में पदस्थ महिला कार्यकर्ता हड़ताल पर चली गईं हैं. मामला उनके वेतन से जुड़ा हुआ है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को रोजाना दस घंटे तक काम करने पर चार हजार रुपये और सहायिकाओं को लगभग दो हजार रुपये प्रति महीना सैलरी मिलती है.

हड़ताली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मुताबिक इससे उनके परिवार का गुजारा तो क्या खुद का खर्च भी नहीं निकल पाता. अपनी गुहार लगाते हुए आंगनबाड़ी  कार्यकर्ताओं ने सरकार का ध्यान कई बार अपने वेतनमान में वृद्धि की ओर खींचा, लेकिन सरकार ने ना तो उनकी सुविधाएं बढ़ाईं और ना ही वेतन. नतीजतन हजारों की तादाद में महिला कार्यकर्ता बेमियादी हड़ताल पर चली गईं हैं. उन्होंने 20 मार्च को छत्तीसगढ़ विधानसभा घेरने का ऐलान भी किया है. एक बयान जारी कर उनके संगठन ने कहा है कि लगभग डेढ़ लाख कार्यकर्ता हड़ताल पर हैं. 

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छत्तीसगढ़ में महिला बाल विकास विभाग से जुड़ी ज्यादातर योजनाएं आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये संचालित होती हैं. इसमें मध्यान भोजन, शिशु आहार, गर्भवती महिलाओं की देखभाल और महिलाओं के विकास और कल्याण से जुड़ी कई योजनाएं शामिल हैं. माना जा रहा है कि बड़ी तादाद में महिला कार्यकर्ताओं के हड़ताल पर चले जाने से आंगनबाड़ी केंद्र ठप्प पड़ गए हैं. हालांकि अभी किसी भी इलाके से कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई है.

ये हैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महिलाओं मांगें-

- महिला कार्यकर्ताओं की मांग है कि उन्हें शासकीय कर्मचारी घोषित कर न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये दिए जाएं.

- सेवानिवृति पर गुजर-बसर के लिए कार्यकर्ताओं को 3 लाख और सहायिकाओं को 2 लाख रुपये दिए जाएं.

- महिला कार्यकर्ताओं को सुपरवाइजर पद के लिए उम्र सीमा को समाप्त किया जाए और उन्हें सीधी पदोन्नति दी जाए.

- मिनी आंगनवाड़ी केंद्र को पूर्ण आंगनवाड़ी केंद्र में तब्दील किया जाए.

- 10 से कम बच्चों वाले आंगनबाड़ी केंद्र को बंद नहीं किया जाए.

- ड्रेस कोड की बाध्यता समाप्त की जाए.

- मृत्यु के बाद अनुग्रह राशि 50 हजार दी जाए.

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपनी इन मांगों को जायज ठहरा रही हैं. उनके मुताबिक वो सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं का संचालन जिम्मेदारी से करती हैं, लेकिन सरकार उनके प्रति अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं दिखा रही है. आंगनबाड़ी केंद्र संघ के संरक्षक जिआउर रसीद और अध्यक्ष भुनेश्वरी तिवारी ने सरकार पर आरोप लगाया कि आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के साथ अन्याय हो रहा है, उधर इनके हड़ताल पर चले जाने के बावजूद सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा है.

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राज्य की महिला और बाल विकास मंत्री रामशिला साहू ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांगों पर कोई विचार नहीं किया है, ना ही अभी तक कोई प्रस्ताव विभागीय तौर पर तैयार हुआ है, जिसे शासन को सौंपा जा सके. जाहिर है आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अभी और संघर्ष करना होगा.

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