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बीजापुर: पत्नी को कहा था वोट डालने आऊंगा, सुबह आई असम के जवान की शहादत की खबर

बीजापुर नक्सली हमले में शहीद हुए दो जवानों की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. एक दिन पहले किसी ने अपनी पत्नी से बात की, किसी ने घर आने की बात कही लेकिन नक्सलियों के साथ एनकाउंटर ने जवानोंं की ओर से परिवार को दी गई उम्मीदों को ऐसे इंतजार में बदल दिया है जिसका कोई अंत नहीं है.

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बीजापुर में हुए एनकाउंटर में असम के दो जवान शहीद हो गए.
बीजापुर में हुए एनकाउंटर में असम के दो जवान शहीद हो गए.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • घर के अकेले सहारा थे बब्लू राभा
  • फोन पर पत्नी से की थी बात, घर आने की कही थी बात
  • दिलीप कुमार दास की कहानी भी कुछ ऐसी ही

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में शनिवार को हुए नक्सली हमले में सुरक्षाबल के 22 जवान शहीद हो गए. इस हमले में अब भी एक जवान लापता है. बीजापुर में नक्सलियों के वीभत्स हमले में जवानों के बलिदान से हर कोई शोक में हैं. शहीद जवानों के परिवारों में गम का मौहाल है. नक्सली हमले में 22 जवानों की शहादत के चलते किसी मां की कोख सूनी हो गई तो किसी की मांग का सिंदूर धुल गया. वीभत्स हमले के बाद जवानों के परिवार से जुड़ी कहानियां और ज्यादा पीड़ादायी है.

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बाजीपुर नक्सल हमले में जान गंवाने वाले सैनिकों के लिए शुक्रवार का दिन हर रोज की तरह सामान्य था लेकिन अगले ही दिन नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में गए जवान वापस लौटकर नहीं आ सके. इस हमले में शहीद हुए दो जवानों की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. एक दिन पहले किसी ने अपनी पत्नी से बात की, किसी ने घर आने की बात कही, लेकिन नक्सलियों के साथ एनकाउंटर ने जवानोंं की ओर से परिवार को दी गई उम्मीदों को ऐसे इंतजार में बदल दिया है जिसका कोई अंत नहीं है.

बब्लू राभा ने किया था पत्नी से वादा

सीआरपीएफ के 33 वर्षीय जवान बब्लू राभा ने 31 मार्च को पत्नी से फोन पर बात की थी. उन्होंने कहा था कि वह असम के गोलपारा जिले में स्थिति अपने घर पांच अप्रैल को आएंगे. यहां वह अपने परिवार के साथ 6 अप्रैल को असम में होने वाले तीसरे चरण के मतदान में शामिल होंगे. लेकिन किसी पता था कि बब्लू की फोन पर पत्नी से ये बात आखिरी बार हो रही होगी. वह आखिरी बार दिसंबर में अपने घर गए थे जहां उन्होंने अपनी मां, पत्नी और सात साल की बेटी से मुलाकात की थी. सोमवार को जब गांव में बब्लू का पार्थिव शरीर पहुंचा तो यहां मातम का माहौल पसर गया. हर किसी के चेहरे पर बब्लू के बहुत दूर चले जाने का गम साफ झलक रहा था.

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बब्लू के परिवार के सदस्य जीबन राभा ने कहा कि बब्लू ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण त्यागे हैं. बब्लू ने साल 2009 में कोबरा यूनिट ज्वाइन की थी. वह परिवार में आय का एकमात्र जरिया थे. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. बब्लू ने अपना घर बनाना शुरू किया था लेकिन अब वो अधूरा रह गया. हम सरकार से अपील करते हैं कि वो बब्लू के परिवार की मदद करें.

ऑपरेशन में जाने की बात कही और वापस नहीं लौटे दिलीप

बीजापुर हमले में शहीद हुए असम के जवान दिलीप कुमार दास की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. 40 वर्षीय दिलीप ने साल 2001 में ही कोबरा यूनिट ज्वाइन की थी. उनके परिवार में उनके माता पिता, दो बच्चियां और पत्नी है. दो अप्रैल की सुबह दिलीप ने अपनी पत्नी से फोन पर बात की थी. उन्होंने अपनी पत्नी को बताया था कि वह आज रात (दो अप्रैल) को किसी ऑपरेशन में जा रहे हैं. लेकिन अगली सुबह दिलीप के कभी ना लौटने की खबर लेकर आई. दिलीप दास ने 10वीं और 12वीं में 60 प्रतिशत अंक हासिल किए थे. उन्होंने बाजली कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक किया था. वह बाजली जिले में बनाए गए नए गांव भारेगांव के रहने वाले थे. वह अपने गांव में काफी चहेते थे. सामाजिक रुप से वह काफी सक्रिय रहते थे.

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