छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सली हमले में 22 जवान शहीद हो गए. माना जा रहा है कि नक्सलियों की इस कायराना हरकत के खिलाफ सरकार कोई बड़ा एक्शन लेने की तैयारी कर रही है. इस बीच सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह भी यहां पहुंच रहे हैं. इस दौरान शाह बीजापुर के बासगुड़ा में लैंड करेंगे. बासगुड़ा कई मायनों में खास है. क्योंकि ये वो कैम्प है जहां कोबरा और सीआरपीएफ के 2 हजार से ज्यादा जवान रहते हैं. यहां हेलीपैड समेत कई सुविधाएं भी हैं.
बासगुड़ा कैम्प चिंतावागु नदी के किनारे बना है. चिंतावागु नदी को चिंता की नदी नाम से भी जाना जाता है. ये नदी बीजापुर जिले में पामेद और बासगुड़ा के बीच 44 किमी लंबी है. इसी नदी के किनारे खूंखारी नक्सली कमांडर हिडमा का घर भी है.
ये नदी तेलंगाना तक जाती है. इस नदी के दूसरी तरफ सार्केगुड़ा कैम्प है और माना जाता है कि यहीं से नक्सलियों का इलाका शुरू होता है. नक्सली यहां तथाकथित जनता सरकार चलाने का दावा करते हैं. इस इलाके में सुरक्षाबलों का आखिरी कैम्प तररेम में है, जो बासगुड़ा कैम्प से 15 मिनट की दूरी पर स्थित है. इसी तररेम कैम्प से सुरक्षाबलों के करीब 760 जवान नक्सली कमांडर हिडमा को पकड़ने निकले थे, लेकिन नक्सलियों ने उन पर हमला कर दिया.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सली कमांडर हिडमा के छिपे होने की जानकारी सुरक्षाबलों को मिली थी. जिसके बाद सुरक्षाबलों ने बीजापुर और सुकमा बॉर्डर पर पड़ने वाले जोनागुडा इलाके में ऑपरेशन शुरू किया. लेकिन तभी नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. नक्सलियों ने तीन तरीके से सुरक्षाबलों पर हमला किया. पहला बुलेट से, दूसरा नुकिले हथियारों से और तीसरा देसी रॉकेट लॉन्चर से. इस हमले में 200 से 300 नक्सलियों के शामिल थे. इस हमले में 22 जवानों के शहीद होने की पुष्टि हो चुकी है. एक जवान अब भी लापता है. 31 जवान घायल हुए हैं, जिनका इलाज चल रहा है. करीब 15 नक्सलियों के भी मारे जाने की खबर है.