छत्तीसगढ़ की दो मशहूर फेंसिंग खिलाड़ी मुन्नी देवांगन और शीला देवांगन ने तलवारबाजी छोड़ दी है. तलवारबाजी की प्रतियोगिताओं में बीते चार-पांच सालों से आकर्षण का केंद्र रही ये दोनों बहन अब रोजगार के लिए भटक रही हैं.
मेहनत मजदूरी करने वाले इनके माता-पिता अब फेंसिंग के खेल में इतनी रकम खर्च नहीं कर सकते कि उनकी दोनों बेटियां इस महंगे खेल को आगे भी जारी रख सके. यही नहीं दोनों बहनों ने अब पढ़ाई भी छोड़ दी है. वो किसी तरह अपने माता-पिता का सहारा बनने के लिए अब पूरे जुनून के साथ जुट गई हैं.
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में मजदूर माता-पिता की दो बेटियों मुन्नी और शीला ने तलवारबाजी में कई प्रतिद्वंदियों को अपना लोहा मनवाया है. दोनों बहनों ने तलवारबाजी की जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताएं जीती हैं. उन्होंने सिल्वर और गोल्ड मेडल की झड़ी लगा दी. लेकिन कहते हैं गरीबी में आटा गीला. यही हाल इन दोनों ही होनहार खिलाड़ियों का हुआ. इन्हें अपना जौहर दिखाने के बावजूद ना तो कोई सरकारी सहायता मिली और ना ही कोई इनकी मदद के लिए आगे आया. आखिरकार तलवारबाजी की ये दोनों राष्ट्रीय खिलाड़ी अपने जीवन यापन के लिए तलवारबाजी का ये खेल छोड़ रोजगार की तलाश में हैं.
मुन्नी और उनकी बहन शीला को हर कोई जानता है. दोनों बहनें छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के चिंगराज पारा में रहती हैं. जिस घर में ये रहती हैं वो इनका अपना नहीं बल्कि किराये का है. मुन्नी BCA कर चुकी हैं तो शीला BA. दोनों ही बहनों ने आगे की पढ़ाई पूरी करने की जिद छोड़ दी है. पढ़ाई छोड़ने के साथ-साथ अब उन्होंने तलवारबाजी को भी अलविदा कह दिया है.
सर्वश्रेष्ठ फेंसिंग खिलाड़ी के खिताब से नवाजी गईं शीला और मुन्नी
शीला और मुन्नी दोनों ने फेंसिंग की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सात बार बाजी मारी है. जबकि राज्य स्तर की दर्जन भर से ज्यादा प्रतियोगिताओं में दोनों बहनों ने कई खिलाड़ियों को अपना जोहर दिखाया है. फेंसिंग के खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के चलते वर्ष 2015 -16 में छत्तीसगढ़ सरकार ने इन्हे सर्वश्रेष्ठ फेंसिंग खिलाड़ी के खिताब से नवाजा था. दोनों ही बहनों ने देश के कई राज्यों में अपना हुनर दिखाया और खूब शाबाशी बटौरी. लेकिन जब बात इस खेल को आगे जारी रखने के लिए विशेष प्रशिक्षण के लिए विदेश जाने की आई तो हर किसी ने अपने हाथ पीछे खींच लिए. दोनों ही खिलाड़ियों को हैरत तो तब हुई जब राज्य का खेल विभाग ने भी इनकी ओर से अपना मुंह मोड़ लिया. दूसरी ओर गरीबी के चलते मजदूर मां बाप इतनी रकम नहीं जुटा पाए कि वो अपनी इन दोनों होनहार बेटियों के हुनर को आगे बरक़रार रख पाए.
ओलंपिक में अपना हुनर नहीं दिखा पाएंगी मुन्नी और शीला
आजीविका के लिए रोजगार की तलाश में जुटी मुन्नी और शीला को कसक इस बात की है कि वे ओलंपिक में अपना हुनर नहीं दिखा पाएंगी. इसके प्रशिक्षण के लिए उन्हें लाखों रुपये की जरूरत होगी, जो उनके पास नहीं है. वहीं दोनों बहनों को सरकार की खेल नीति के तहत मिलने वाले प्रोत्साहन को लेकर 'आजतक' की टीम ने जब छत्तीसगढ़ के खेल संचालक और खेल सचिव से बातचीत की तो दोनों ने इस मामले को लेकर अनभिज्ञता जाहिर की.