छत्तीसगढ़ में करीब 1.80 लाख शिक्षाकर्मियों को संविलियन कर सरकारी शिक्षक बनाने के ऐलान के बाद राज्य की बीजेपी सरकार ने कांग्रेस के हाथों से एक बड़ा मुद्दा छीन लिया है.
बड़ी संख्या में शिक्षाकर्मियों को संविलियन का तोहफा देकर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अपने वोट बैंक को मजबूत बनाकर कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. बीते 10 सालों से शिक्षाकर्मियों की संविलियन की मांग सरकार के लिए गले की हड्डी बन गई थी.
हालांकि इसके लिए राज्य सरकार को दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट का अलग से प्रावधान करना होगा. दरअसल संविलियन के बाद शिक्षाकर्मियों के वेतन और भत्तों में बीस से पच्चीस फीसदी का इजाफा होगा. यही नहीं वे कई सरकारी सुविधाओं के हकदार भी बन जाएंगे.
राज्य में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. लिहाजा शिक्षाकर्मियों के संविलियन का फैसला राज्य की बीजेपी सरकार के लिए तुरूप का पत्ता साबित हो सकता है. कांग्रेस अभी तक शिक्षाकर्मियों के आंदोलन को समर्थन देकर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने में जुटी थी, लेकिन रमन सिंह के इस फैसले ने उसके अरमानों पर पानी फेर दिया है.
बरसों पुरानी मांग पूरी
लंबे आंदोलन और इंतजार के बाद आखिरकार शिक्षाकर्मियों की सालों पुरानी संविलियन की मांग छत्तीसगढ़ सरकार ने पूरी कर दी है. छत्तीसगढ़ के डेढ़ लाख से ज्यादा शिक्षाकर्मियों को इसका सीधा फायदा होगा.शेष जूनियर शिक्षाकर्मी भी संविलियन के दायरे में आएंगे, लेकिन कब और कैसे सरकार ने इसका खुलासा नहीं किया है. मिली जानकारी के मुताबिक आठ साल से ज्यादा सेवा कर चुके सभी शिक्षाकर्मी का संविलियन कर उन्हें सरकारी शिक्षक बनाया जाएगा. इससे शिक्षाकर्मियों के वेतनभत्तों में बढ़ोतरी तो होगी ही, उन्हें कई सरकारी सुविधाएं भी मुहैया होगी.
विधानसभा चुनाव के पहले शिक्षाकर्मियों के संविलियन को बीजेपी सरकार के ट्रंप कार्ड के रूप में देखा जा रहा है. मुख्यमंत्री रमन सिंह के मुताबिक जल्द ही कैबिनेट की बैठक बुलाकर शिक्षाकर्मियों को सरकारी शिक्षक बनाए जाने का नोटिफिकेशन जारी होगा. मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अंबिकापुर में विकास यात्रा के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में मंच से शिक्षाकर्मियों के संविलियन की घोषणा की है.
चुनावी साल में छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षाकर्मियों के संविलियन का फैसला लेकर एक बड़ा दांव खेला है. प्रदेश में बीते कई महीनों से शिक्षाकर्मी लगातार अपने संविलियन की मांग को लेकर प्रदर्शन और कई अभियान चला रहे थे.
इन अभियानों में सेल्फी विद फैमिली अभियान से सरकार पर दबाव बनाने का काफी प्रयास किया गया था. जो काफी हद तक सफल भी हुआ. इस अभियान में शिक्षाकर्मियों ने अपने घर परिवार के वोटरों की सेल्फी लेकर बीजेपी नेताओं को भेजी थी. सेल्फी के साथ चेतावनी भी दी थी कि संविलियन नहीं हुआ तो, प्रत्येक परिवार के आधा दर्जन वोट विपक्षी दलों के खाते में जाएंगे.
सरकार के इस फैसले को शिक्षाकर्मियों के भारी दबाव के कारण लिया गया फैसला माना जा रहा है. संविलियन की घोषणा होते ही प्रदेशभर में शिक्षाकर्मी चौक-चौराहों पर जुटे और एक दूसरे को बधाई देकर जश्न मनाया.