छत्तीसगढ़ के मंत्रालय महानदी भवन और इंद्रावती भवन में बाबू, टाइपिस्ट, टेलीफोन ऑपरेटर और चपरासी के पद पर नियुक्ति दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी करने वाले बंटी (रूपेंद्र वर्मा) और बबली (शालिनी वर्मा) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. मामले में शालिनी वर्मा, रूपेंद्र वर्मा और बेबी राव को भी गिरफ्तार किया गया है. बेबी राव ग्राहकों को फंसाने का काम करता था.
ये लोग वैसे तो सैकड़ों लोगों को चूना लगा चुके हैं, लेकिन चालाकी से रकम लेने या फिर नकदी स्वीकार करने के चलते बचते रहे. इस बार 12वीं और ग्रेजुएट पास दो युवकों को मंत्रालय में नौकरी दिलाने के नाम पर करीब 15 लाख रुपये चेक के जरिए लेने से इनकी कलई खुल गई. इनकी गिरफ्तारी के बाद राज्य के विभिन्न इलाकों से सैकड़ों पीड़ित बेरोजगारों ने ठगी का शिकार होने की शिकायत अपने नजदीकी थानों में दर्ज कराई.
इन बेरोजगारों को उम्मीद थी कि पिछले दरवाजे से मंत्रालय में उनकी नौकरी लग जाएगी, लेकिन जब नौकरी लगाने वाले शख्स हवालात की सैर करते दिखाई दिए, तो ठगे गए बेरोजगार हाथ मलते नजर आए. ठगी करने वाले बंटी, बबली और उनकी टीम ने रायपुर के देवेन्द्र नगर में इन्क्लेव ग्रुप के नाम से एक रोजगार कार्यालय खोल रखा था. आरोप है कि ये लोग यहां पर बेरोजगार युवाओं को बुलाकर नौकरी दिलाने का सपना दिखाते और फिर अफसरों को घूस देने के नाम पर मोटी रकम ऐंठते थे.
रोजाना 25 बेरोजगार होते थे ठगी का शिकार
बताया जा रहा है कि शालिनी वर्मा और रूपेंद्र वर्मा दोनों पति-पत्नी हैं, जबकि बेबी राव उनका करीबी दोस्त है. यही तीनों इस ग्रुप को चलाते थे. शालिनी एचआर हेड थी और कंपनी आने वाले बेरोजगारों को उनकी योग्यता के अनुसार विभिन्न सरकारी दफ्तरों में नौकरी दिलाने का झांसा देती थी. रोजाना इस दफ्तर में 20-25 बेरोजगार ठगी का शिकार होते थे.
नौकरी पाने के लिए पहुंचते थे बेरोजगार
इनके पास शहरी और ग्रामीण इलाकों से नौकरी पाने के लिए आने वालों का जमावड़ा लगा रहता था. बेरोजगारों की माली हालत को देखते हुए लेन-देन तय होता था. धमतरी के जोरातराई के रहने वाले त्रिवेन्द्र कुमार ने रायपुर के थाना देवेन्द्र नगर में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी.
त्रिवेंद्र ने बताया कि सालभर पहले रिश्तेदार के माध्यम से उसे इनक्लेव ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के बारे में पता चला था. इसके बाद वह नौकरी के लिए यहां पहुंचा था, जहां उसकी मुलाकात शालिनी से हुई. उनको शालिनी ने बताया कि उसकी मंत्रालय में अच्छी पहुंच है और वह राज्य के कई मंत्री व अफसरों की करीबी है.
शालिनी ने उनको छह महीने के भीतर नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया और इसके एवज में 70 हजार रुपये मांगे. त्रिवेंद्र ने कंपनी के खाते में 70 हजार रुपये जमा कर दिए और मंत्रालय में नौकरी के लिए अपनी योग्यता संबधी दस्तावेज भी दफ्तर में जमा कर दिए. तय समय पर भी जब पीड़ितों को नौकरी नहीं मिली, तो उन्होंने आरोपियों से संपर्क किया, लेकिन आरोपियों ने न तो उनका फोन उठाया और न ही उनसे दोबारा संपर्क किया.
एक दिन में 16 लाख की ठगी
जब त्रिवेंद्र को ठगी होने का अहसास हुआ, तो उन्होंने इसकी शिकायत थाना देवेन्द्र नगर में दर्ज कराई. पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपियों ने सिर्फ त्रिवेंद्र ही नहीं, बल्कि उस दिन 20 लोगों से 15 लाख 75 हजार रुपये की ठगी करने की बात कबूली है. यह रकम एक ही दिन उनके बैंक अकाउंट में जमा हुई थी.
पुलिस के मुताबिक आरोपियों ने रायपुर के आलावा महासमुंद, धमतरी, बिलासपुर, गरियाबंद, बलौदाबाज़ार समेत कई शहरों के लोगों से ठगी की. पुलिस ने बताया कि इस मामले के दर्ज होने के बाद उनके पास लगभग दो दर्जन लोगों ने नई शिकायतें की. इन सभी की भी जांच की जा रही है.
पुलिस ने आरोपियों के दफ्तर से मिले कम्प्यूटर लैपटॉप और मोबाइल को भी जब्त कर लिया है. पुलिस का मानना है कि ठगी की इन वारदातों को अंजाम देने के लिए पूरा नेटवर्क काम कर रहा था. पुलिस को अब भी आठ से 10 ऐसे एजेंटो की तलाश है, जो बंटी और बबली के इस गिरोह के लिए ग्राहक ढूंढने का काम करते थे.