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छत्तीसगढ़ के पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने दिया इस्तीफा, बने रहेंगे स्वास्थ्य मंत्री

छत्तीसगढ़ के पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने सीएम भूपेश बघेल को अपना इस्तीफा भेज दिया है. सिंहदेव अपने प्रभार वाले बाकी विभागों में कैबिनेट मंत्री के रूप में बने रहेंगे.

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टीएस सिंहदेव (फाइल फोटो)
टीएस सिंहदेव (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • टीएस सिंहदेव ने पंचायत मंत्री के पद से दिया इस्तीफा
  • छ्त्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री बने रहेंगे टीएस सिंहदेव

छत्तीसगढ़ के पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस्तीफा दे दिया है. सिंहदेव अपने प्रभार वाले बाकी विभागों में कैबिनेट मंत्री के रूप में बने रहेंगे. सिंहदेव के इस्तीफे की खबर से प्रदेश में हड़कंप मच गया है. टीएस सिंहदेव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपना इस्तीफा भेज दिया है. अपने इस्तीफे में टीएस सिंहदेव ने पंचायत विभाग में लिए गए फैसलों के बारे में बताया कि उनकी जानकारी के बगैर कई फैसले लिए गए. टीएस सिंहदेव ने सीएम को दिए गए इस्तीफे में बताया कि प्रदेश की गरीब जनता को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका. इसके अलावा उन्होंने मनरेगा योजना में भी हस्तक्षेप भी बात कही है. 

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टीएस सिंहदेव ने लिखा, प्रदेश के आवास विहीन लोगों को पीएम आवास योजना के तहत घर दिए जाने थे, जिसके लिए मैंने आपसे कई बार चर्चा करते हुए राशि आवंटन की अपील की थी किंतु राशि उपलब्ध नहीं हो पाई. इसकी वजह से 8 लाख लोगों के लिए आवास नहीं बनाए जा सके. टीएस सिंहदेव ने पीएम आवास योजना का लाभ नहीं गरीब जनता को नहीं मिलने पर दुख भी जताया.
 

सिंहदेव ने लिखा, साजिश के तहत रोजगार सहायकों से हड़ताल करवाकर मनरेगा के कार्यों को प्रभावित किया गया, जिसमें सहायक परियोजना अधिकारियों (संविदा) की भूमिका स्पष्ट रूप से सामने आई. स्वयं आपके द्वारा हड़तालरत कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया. इसके बाद भी हड़ताल पूरी नहीं की गई. हड़ताल के कारण लगभग 1250 करोड़ रुपये की मजदूरी भुगतान प्रभावित हुआ और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नहीं पहुंच सका. समन्वय के माध्यम से आपसे अनुमोदन लेकर सहायक परियोजना अधिकारियों (संविदा) के स्थान पर रेगुलर सहायक परियोजना अदिकारियों की भर्ती कर दी गई थी ताकि मनरेगा का कार्य सुचारू रूप से चल सके. 

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जब हमारे प्रदेश को रोजगार की सबसे ज्यादा जरूरत थी तो सहायक परियोजना अधिकारियों के द्वारा कार्य को प्रभावित रखा गया, जबकि रोजगार सहायक अपने काम पर वापस आना चाह रहे थे. जब मुझे इसकी जानकारी मिली कि सहायक परियोजना अधिकारियों (संविदा) की बहाली होने लगी तो मैंने आपसे चर्चा की थी कि उन्हें उसी पद पर दोबारा नियुक्त न किया जाए. लेकिन इसके बाद भी उनकी नियुक्ति मेरे अनुमोदन के बगैर हो गई, जोकि मुझे स्वीकार्य नहीं है. 

मैं ऊपर दिए गए कारणों की वजह से वर्तमान परिस्थितियों में मैं स्वयं को पंचायत विभाग चलाने में असमर्थ हूं. इसलिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के भार से मैं अपने आप को अलग कर रहा हूं. आपने मुझे जिन विभागों की जिम्मेदारी दी है उन्हें मैं निभाता रहूंगा. 

(इनपुट- सुमि)
 

 

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