छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस में डर्टी सीडी को लेकर जारी खींचतान के बीच रविवार को पुलिस ने पत्रकार विनोद वर्मा को रायपुर की जिला अदालत में पेश किया. जहां कोर्ट ने उन्हें फिर 3 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया.
Journalist Vinod Verma sent to 3-day police custody. He was arrested by Chhattisgarh Police over a case of blackmailing & extortion
— ANI (@ANI) October 29, 2017
पेशी के दौरान उनकी जमानत को लेकर वकीलों ने छत्तीसगढ़ पुलिस पर सीधा हमला किया. वर्मा के वकीलों ने अदालत में दलील दी कि उनकी गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने ना तो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन किया और ना ही पुलिस एक्ट का.वकीलों ने कहा की डर्टी सीडी मामले में मंत्री को बचाने के लिए पत्रकार विनोद वर्मा की गिरफ्तारी कर उनपर दबाव बनाया जा रहा है.
पत्रकार विनोद वर्मा ने भी अदालत से शिकायत की कि स्लिप डिस्क से होने वाले दर्द के बावजूद पुलिस उन्हें प्रताड़ित करने के लिए दिल्ली से रायपुर तक सड़क मार्ग से लाई. इस बीच विनोद वर्मा के वकील ने पांच दिनों की पुलिस रिमांड का विरोध करते हुए कहा कि एक तो पुलिस ने उन्हें झूठे मामले में फसाया है. वहीं उनके पास से सिर्फ एक पेनड्राइव, एक लैपटॉप और एक मोबाइल जब्त किया है. अदालत ने रिमांड मांगे जाने और अब तक हुई उनसे पूछताछ को लेकर पुलिस के अधिकारियों से सवाल भी किए.
हालांकि छत्तीसगढ़ पुलिस की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने पत्रकार विनोद वर्मा को तीन दिन की पुलिस रिमांड बढ़ा दी. विनोद वर्मा को 31 अक्टूबर को फिर रायपुर कोर्ट में पेश किया जाएगा. इसके पहले गाजियाबाद की अदालत ने उन्हें तीन दिन की पुलिस रिमांड पर छत्तीसगढ़ पुलिस को सौपा था.
पत्रकार विनोद वर्मा को 26 और 27 अक्टूबर की दरमियानी रात में उनके गाजियाबाद स्थित निवास से छत्तीसगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पुलिस उन्हें तीन दिन के ट्रांजिट रिमांड पर गाजियाबाद से रायपुर लाई थी. रायपुर के पंडरी थाने में ब्लैकमेलिंग के एक मामले में विनोद वर्मा के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है. जबकि दूसरा प्रकरण रायपुर के ही सिविल लाइन थाने में आईटी एक्ट के उल्लंघन को लेकर दर्ज है. फिलहाल गिरफ्तारी अश्लील सीडी को लेकर दर्ज ब्लैकमेलिंग के मामले में हुई है.