छत्तीसगढ़ में छठ पूजा परंपरागत ढंग से मनाई जा रही है लेकिन इस पर राजनीतिक तड़का लग गया है. राज्य में आने वाले साल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसके मद्देनजर बिहार और उत्तर प्रदेश के परिवारों को लुभाने के लिए छठ पूजा का इस्तेमाल बतौर राजनैतिक हथियार के रूप में हो रहा है. नदी और तालाबों के तटों पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के नेताओं का तांता लगा हुआ है और ये नेता वहां पर मूलभूत सुविधाओं का जायजा ले रहे हैं. कोई साफ-सफाई को लेकर सरकारी अफसरों की बखियां उधेड़ रहा है तो कोई तट निर्माण और घाटों में मरम्मत का काम नहीं होने और नवनिर्माण को लेकर सरकार को कोस रहा है.
इस बार छठ पूजा ने प्रदेश की राजनीति गरमा दी है. चार दिनों तक बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के नेताओं को मतदाताओं को लुभाने का अच्छा खासा काम मिल गया है.छत्तीसगढ़ में बिहार और उत्तरप्रदेश के रहने वाले लोगों की संख्या लाखों में है. उनके वोट बैंक को बिगाड़ने के लिए नेताओं को छठ पूजा बड़ी कारगर नजर आ रही है.
चार साल तक जिन नेताओं ने ना तो कभी नदी तालाबों का रुख किया और ना ही छठ पूजा करने वाले घर परिवारों में दस्तक दी ऐसे नेता आज अपना ज्यादातर समय नदी तालाबों के इर्द गिर्द बिता रहे हैं. सुबह से लेकर शाम तक उनका वक्त घाटों और तटों की साफ सफाई के निर्देश देने के साथ बीत रहा है. इन नेताओं की टोली में कई कार्यकर्ता ऐसे हैं जिनका वक्त नेताजी की ओर से स्वागत और बधाई देने वाले संदेशों और बैनर पोस्टरों को लगाने में बीत रहा है. छठ पूजा पर लगे इस राजनीतिक तड़के से कई लोग हैरान हैं.
35 साल बाद रवि योग- नहाय खाय से शुरू होने वाला सूर्य उपासना का महा पर्व इस बार खास मौके पर शुरू हो रहा है. 24 अक्टूबर से 26 अक्टूबर की रात तक लगभग 36 घंटे तक भक्त उपवास रखेंगे. कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी की तिथि पड़ने से 35 साल बाद महासहयोग बना है. इससे ना केवल व्यक्ति के जीवन में सूर्य की दशा प्रबल बनेगी बल्कि यह योग मनोकामना पूरी करने के लिए भी खास माना जा रहा है. ज्योतिषाचार्य सुनीत मुखर्जी के मुताबिक इस बार छठ पूजा विधिविधान से करने पर बिगड़े ग्रहों की दशा सुधरेगी और जाचक को अनावश्यक परेशानियों से छुटकारा मिलेगा.