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रमन सिंह की 'विकास यात्रा' के बीच जर्जर पुल

छत्तीसगढ़ के नवगठित बेमेतरा जिले में सड़कों और पुल-पुलिया की हालत बेहद खराब है.

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छत्तीसगढ़ के नवगठित बेमेतरा जिले में सड़कों और पुल-पुलिया की हालत बेहद खराब है. बेमेतरा से नवागढ़ के ठीक बीचों-बीच हाफ नदी पर बना पुल बेहद जर्जर हो चुका है. लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अफसरों ने पुल के ऊपरी हिस्से का रंगरोगन कराकर उसे चकाचक तो कर दिया है पर पुल के निचले हिस्से को किसी ने ठीक करने की जहमत नहीं उठाई. पुल के निचले हिस्से में छड़ और दरार साफ दिखाई दे रही हैं. आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि पुल से जब कभी भारी वाहन गुजरते हैं तो कंपन के कारण पुल का सीमेंट झड़ने लगता है. पुल के नवागढ़ की तरफ के हिस्से में सरिया बाहर लटका है. मुंगेली से कुम्हारी तक जब से एडीबी परियोजना की सड़क बनी है तब से भारी वाहनों का दबाव पुल पर काफी बढ़ गया है.

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ग्रामीणों का साफ कहना है कि यदि समय रहते पुल को ठीक नहीं किया गया तो पुल के गिरने की भी आशंका है. दूसरी तरफ, विधानसभा क्षेत्र की सड़कों पर विकास रथ को बिना लड़खड़ाए चलाने के लिए जिला प्रशासन जीतोड़ मेहनत कर रहा है. पैसे की कोई परवाह नहीं की जा रही है. हर किसी की यही कोशिश है कि किसी भी तरह से मुख्यमंत्री का विकास रथ बिना किसी बाधा के पार हो जाए, पर हालात इसके विपरीत हैं.

छिरहा-नवागढ़ मार्ग का डामरीकरण तेजी से हो रहा है, जबकि इस मार्ग पर 25 महीने से यात्री बसों का चलना बंद है. अब सिर्फ विकास यात्रा के लिए ही इस मार्ग पर लाखों रुपये फूंके जा रहे हैं.

बेमेतरा के कार्यपालन अभियंता एम. प्रसाद का कहना है, ‘हाफ नदी के पुल की खराब स्थिति के बारे में संबंधित इंजीनियर से जानकारी लाने के लिए कहूंगा, पेड़ों की कहीं पर भी अनावश्यक कटाई नहीं करने दी जाएगी, केवल रथ में बाधा पहुंचाने वाली डालियों की छंटाई कराई जा रही है.’ बहरहाल, विकास यात्रा से होने वाले नफा-नुकसान पर आने वाले दिनों में राजनीति गरमाने के आसार दिख रहे हैं.

चार दशक पहले बना है पुल
बेमेतरा-नवागढ़ मार्ग पर हाफ नदी में चार दशक पहले 1970 में यह पुल बनाया गया है. पांच लाख रुपये की लागत से निर्मित इस पुल के ऊपरी हिस्से का अभी रंगरोगन कर दिया गया है. पुल के निचले हिस्से में दिख रहे सरिया के कारण ग्रामीणों को आशंका है कि पुल जर्जर हो चुका है.

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निजी कंपनी ने भी पुल को क्षति पहुंचाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है. केबल डालने के नाम पर पुल पर कई छेद बना दिए गए हैं जिस कारण पुल की भारक क्षमता भी प्रभावित हो रही है. ग्राम अंधियारखोर निवासी रामू साहू ने बताया कि जब भी भारी वाहन पुल से गुजरते हैं तो पुल के निचले हिस्से का प्लास्टर निकलने लगता है. यह गंभीर संकेत है.

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