छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना का सोमवार को महापर्व हरेली के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगाज किया. इस योजना के तहत राज्य सरकार पशुपालकों से गोबर खरीद कर उससे जैविक खाद तैयार करेगी. बघेल सरकार पशुपालकों से 2 रुपए किलो की दर से गोबर की खरीदारी करेगी.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास पर गोधन तथा कृषि यंत्रों की पूजा-अर्चना कर योजना की शुरुआत की. इस अवसर पर सीएम ने प्रदेश वासियों को नए साल के पहले त्योहार की बधाई देते हुए कहा कि यह योजना संकट के समय किसानों और पशुपालकों के लिए वरदान साबित होगी. यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था की संजीवनी बनेगी. यह एक बहुआयामी योजना है, जिससे हम बहुत सारे लक्ष्य को एक साथ हासिल करेंगे.
#WATCH: Chief Minister Bhupesh Baghel does stilt walking at the launch of ‘Godhan Nyay Yojana’ on the occasion of Hareli festival, in state capital Raipur. pic.twitter.com/xJn0FTXyaS
— ANI (@ANI) July 20, 2020
बघेल ने कहा कि गोधन न्याय योजना से पशुपालकों की आय में वृद्धि तो होगी ही, पशुधन की खुली चराई पर भी रोक लगेगी. जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा मिलने से रासायनिक खाद के उपयोग में कमी आएगी. खरीफ और रबी फसल की सुरक्षा सुनिश्चित होने से द्विफसलीय खेती क्षेत्र में होगी. भूमि की उर्वरता में सुधार होगा तथा विष रहित खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ेगी, इससे पोषण का स्तर और सुधरेगा.
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इस गोधन न्याय योजना का उद्देश्य पशुपालन को बढ़ावा देने के साथ-साथ कृषि लागत में कमी और भूमि की उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी करना है. इस योजना से पर्यावरण में सुधार के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी बड़े बदलाव की उम्मीद मानी जा रही है. गोधन न्याय योजना से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा.
छत्तीसगढ़ में अब तक 5,300 गोठान स्वीकृत किए जा चुके हैं जिसमें से ग्रामीण क्षेत्रों में 2,408 और शहरी क्षेत्रों में 377 गोठान बन चुके हैं. इन गोठानों के द्वारा पाशुपालकों से गोबर की खरीदारी की जाएगी. हालांकि, राज्य सरकार ने प्रदेश की सभी 11630 ग्राम पंचायतों और सभी 20 हजार गांवों में गोठान निर्माण का लक्ष्य रखा है ताकि सभी गांव से गोबर की खरीदारी हो सके.
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गोठानों को पशुओं के डे केयर सेंटर के रूप में विकसित किया गया है. महिला स्व सहायता समूह द्वारा यहां वर्मी कंपोस्ट के निर्माण के साथ अन्य आय मूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं. किसानों और पशुपालकों से गोठान समितियों द्वारा दो रुपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीदी की जाएगी, जिससे महिला स्व सहायता समूहों द्वारा वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जाएगा. तैयार वर्मी कंपोस्ट को 8 रुपए प्रति किलो की दर से सरकार द्वारा खरीदा जाएगा.