छत्तीसगढ़ में इन दिनों गाय पर चर्चा शुरू हो गई है. दुर्ग के धमधा इलाके में गायों के बेमौत मारे जाने के मामले ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए अच्छा खासा काम सौंप दिया है. कांग्रेस आंदोलनों के जरिये बीजेपी को पटखनी देने में जुटी हुई है. उसकी दलील है कि बीजेपी को गाय से कोई लेना- देना नहीं है. वो उसके नाम पर सिर्फ राजनीति करती है. धमधा में जिस बीजेपी नेता की गौशाला में गाय मारी गईं, वहां सिर्फ गायों के नाम पर सरकार से आर्थिक मदद ली जाती थी, लेकिन उस रकम से गायों को भोजन नहीं मिलता था. पूरी रकम बीजेपी के नेता डकार जाते थे. कांग्रेस ने बीजेपी की असलियत जनता को बताने के लिए धमधा में पैदल मार्च किया. अब पार्टी 30 अगस्त को मुख्यमंत्री निवास के सामने बतौर प्रदर्शन आवारा पशुओं को छोड़ने वाली है. कांग्रेसी कार्यकर्ता सड़क पर घूमेंगे और आवारा पशुओं को खदेड़ कर सीएम हॉउस की ओर भेजेंगे. इस अजीबोगरीब प्रदर्शन को लेकर बीजेपी खेमा सकते में है.
बीजेपी को सता रही छवि की चिंता
गाय की दुर्दशा और उनके बेमौत मारे जाने के मामले ने बीजेपी की नींद उड़ा दी है. पार्टी के कुछ नेताओं को लगता है कि इस घटना से बीजेपी की छवि खराब हुई है. हालांकि पार्टी तत्काल फेस सेविंग में जुट गई. मुख्यमंत्री रमन सिंह ने तुरंत जांच के आदेश दिए. गौ सेवा आयोग ने धमधा और बेमेतरा की उन तीनों गौशालाओ का रुख किया, जहां गायों के मारे जाने से बवाल मचा था. आयोग के अध्यक्ष विश्वेश्वर पटेल ने साफ तौर पर कहा कि यह घटना शर्मनाक है, जबकि राज्य की गौशालाओ को प्रतिदिन प्रत्येक गाय के एवज में 25 रुपये की खुराक दी जाती है. इतनी अधिक रकम कोई भी राज्य गौशाला के लिए स्वीकृत नहीं करता. गौसेवा आयोग ने राज्य की सभी गौशाला का परिक्षण शुरू कर दिया है.
आरोपी बीजेपी नेता पार्टी से सस्पेंड
धमधा में गौशाला चलाने वाले बीजेपी नेता हरीश वर्मा को निलंबित कर दिया गया है. फिलहाल हरीश वर्मा जेल की हवा खा रहे हैं. पशु अत्याचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था. अदालत में पेश करते वक्त लोगों ने ना केवल नेता पर कालिख पोती बल्कि पिटाई भी की. अदालत के निर्देश पर हरीश वर्मा को एक सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
संचालकों की जेब में जा रहा धन
बीजेपी प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने के मुताबिक सरकार ने फौरन आरोपी बीजेपी नेता की ही नहीं बल्कि राज्य की सभी गौशालाओं के परिलक्षण की पहल की. कृषि मंत्री ने चौबीस घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट मांगी. नौ पशु चिकित्सा अधिकारियों को सस्पेंड भी किया गया. मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए. उधर कांग्रेस उपाध्यक्ष रमेश वरलियानी ने आरोप लगाया कि गौशालाओं को मिलने वाला धन सीधे संचालकों की जेब में जा रहा है. रकम का कोई ब्यौरा नहीं मिलता, वर्षों से कई गौशालाओं ने ऑडिट नहीं कराया. रकम जारी करने के बाद वह रकम किस तरह से गौ शालाओं में खर्च हो रही है, इसका लेखा-जोखा गौ सेवा आयोग के पास भी नहीं है और ना ही खर्चा सौंपने का कोई प्रावधान बना.
सीएम के इस्तीफे की मांग
ऐसा माना जाता है कि 'गाय' बीजेपी का पारंपरिक जनाधार वाला मुद्दा है. हालांकि अब राज्य में कांग्रेस ने भी गाय पर बाजी लगाई है. पार्टी ने गायों के संरक्षण के लिए एक एम्बुलेंस शुरू की है. सूचना देने पर यह एम्बुलेंस घायल और बीमार गायों को पशु चिकित्सालय तक पहुंचाती है. कांग्रेस बीजेपी पर हमला कर मुख्यमंत्री रमन सिंह के इस्तीफे की मांग कर रही है. उसकी दलील है कि पूरी सरकार गौ हत्या की जिम्मेदार है, जबकि बीजेपी गाय को गौ माता कहती है.
बीजेपी पर कांग्रेस का हमला
फिलहाल कांग्रेस गाय के मुद्दे को भुनाने के लिए पार्टी मुख्यालय के अंदर और बाहर गाय पर चर्चा कर रही है. हाथों में चाय का प्याला और जुबान पर गौशालाओं को मिलने वाले फंड का जिक्र है. कमोबेश बीजेपी मुख्यालय का भी यही हाल है. यहां भी हाथों में चाय का प्याला लेकर पार्टी के नेता चर्चा कर रहे हैं कि इस मामले में सरकार ने संवेदनशीलता बरती. तत्काल पार्टी के नेता को गिरफ्तार कराया, लेकिन कांग्रेस गायों को मौत पर दुख महसूस करने की बजाए उनकी सरकार के खिलाफ गाय का मुद्दा उछाल कर राजनैतिक घेराबंदी कर रही है.