कांग्रेस के सामने मंगलवार को एक साथ दो मुसीबतें सामने आ गईं. पहला तो राजस्थान में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अनशन पर बैठ गए तो वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने एक बार फिर विरोधी सुर अख्तियार कर लिए हैं.
टीएस सिंहदेव ने कांग्रेस नेता सचिन पायलट को लेकर कहा है कि उन्होंने कोई लक्ष्मण रेखा पार नहीं की. उनका अनशन पर जाना पार्टी विरोधी गतिविधि नहीं है. उन्होंने जनता से वसुंधरा राजे सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच कराने का वादा किया था लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए. ऐसे में सचिन पायलट को लगता होगा कि चुनाव के समय वह मतदाता को क्या जवाब देंगे.
वहीं उन्होंने 2.5 साल के बाद सीएम बनाने के वादे पर कहा, ये कांग्रेस ने सार्वजनिक तौर पर नहीं कहा. ये सब बंद कमरों की बातें होती हैं. इनकी मर्यादा बनाए रखनी होती है. कभी मौका मिला, तो क्या बात हुई थी, ये बताएंगे. उन्होंने कहा,'मीडिया में बार-बार 2.5-2.5 साल सीएम वाली बात आती रही, लेकिन जब यह नहीं हुआ, तो दुख तो होता है.
छत्तीसगढ़ में 2018 में कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में लौटी थी. लेकिन इसके बाद सीएम की कुर्सी को लेकर सिंह देव और भूपेश बघेल के बीच जंग छिड़ गई थी. कहा जाता है कि ऐसे में ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री का फॉर्मूला तय हुआ था और भूपेश बघेल के सिर सत्ता का ताज सजा था, लेकिन ढाई साल सीएम वाला फॉर्मूला लागू नहीं हुआ.
टीएस सिंह देव का नाम लगातार चर्चा में बना हुआ है. आइए जानते हैं कांग्रेस के इस नेता के बारे में जो खुलेआम कांग्रेस का विरोध करता है.
त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव यानी टीएस सिंह देव का सरगुजा राजघराने से नाता है. वह इस राजघराने के 118वें राजा हैं. लोग उन्हें टीएस बाबा कहकर ही संबोधित करते हैं. उन्हें पसंद नहीं कि लोग उन्हें राजा साहेब कहकर पुकारें. सरगुजा राजघराने की गई पीढ़ियां कांग्रेस से जुड़ी हैं.
1952 में प्रयागराज में जन्मे टीएस देव ने भोपाल के हमीदिया कॉलेज से एमए इतिहास की पढ़ाई की लेकिन छत्तीसगढ़ से राजनीति की शुरुआत की. वह 1983 में अंबिकापुर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष चुने गए और यहीं से उनका राजनीति सफर शुरू हुआ. हालांकि वह वर्तमान में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हैं. पिछले दिनों उन्होंने पंचायत मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, हालांकि उन्होंने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा और जीएसटी विभाग का कार्यभार नहीं छोड़ा.
टीएस देव कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं. अंबिकापुर विधानसभा सीट से तीन बार (2008, 2013, 2018) के विधायक हैं. वे छत्तीसगढ़ सरकार में नंबर दो की हैसियत रखते हैं. उन्हें 2013 में कांग्रेस ने विधायक दल का नेता बनाया था. इसके बार जनवरी 2014 को उन्हें विधानसभा में विपक्षी दल का नेता चुना गया.
कांग्रेस नेता 2018 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष थे. राजनीति में उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि कांग्रेस के अलावा दूसरे दल के नेता भी उनका बहुत सम्मान करते हैं.
साल 2013 में जब मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और मिजोरम में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब भी टीएस सिंह देव सबसे अमीर विधायक थे. शपथपत्र के मुताबिक तब उन्होंने बताया था कि उनके पास 514 करोड़ रुपये की संपत्ति है.
टीएस अपनी भतीजी ऐश्वर्या को अपने लिए बहुत लकी मानते हैं. 31 अक्टूबर 2018 में जब वह अंबिकापुर सीट से चुनाव लड़ने जा रहे थे, तब उन्होंने अपनी भतीजी के हाथों से अपना पर्चा दाखिल करवाया था. वह यह चुनाव 39,624 मतों के अंतर से जीत गए थे.
टीएस सिंह देव और सीएम भूपेश बघेल के बीच रिश्ते ठीक नहीं हैं. उन्होंने सीएम को चार पन्नों का लेटर लिखकर पंचायत मंत्री पद से इस्तीफा दिया था. इस दौरान उन्होंने बघेल सरकार पर कई आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था,' आपसे से कई बार कहने के बाद भी पीएम आवास बनाने के लिए बजट नहीं दिया गया. उन्होंने शिकायत की थी कि आदिवासी इलाकों में पंचायत एक्सटेंशन इन शेड्यूल एरिया कानून में विश्वास में लिए बिना ही संशोधन कर दिए गए.
पिछले साल कांग्रेस ने जुलाई में राष्ट्रपति चुनाव से पहले विधायक दल की बैठक हुई थी. बैठक में 71 में से 64 विधायक शामिल हुए थे. जो सात विधायक बैठक में नहीं आए थे, उनके टीएस सिंह देव भी शामिल थे.