छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर ने राज्य के जंगलों में बाघों के शिकार पर चिंता जताई है. उसने राज्य सरकार को बाघों की घटती संख्या पर नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि आखिर प्रदेश में बाघों की संख्या घट क्यों रही है, इस पर वह तीन सप्ताह के भीतर जवाब दे.
याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी के मुताबिक प्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए सरकार की ओर से जो प्रयास हो रहे है, उसमे घोर लापरवाही बरती जा रही है. प्रदेश में तीन बाघों की मौत और अचानकमार टाइगर रिजर्व में 28 बाघों के होने के वन विभाग के दावे सही नहीं है. राज्य सरकार ने बीती सुनवाई में बताया था कि वन विभाग में 50 प्रतिशत वन आरक्षकों की कमी है. इस कमी को दूर करने भर्ती प्रक्रिया जारी है, लेकिन सरकार की ओर से इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया.
बीते दो सालो में राज्य के कई इलाकों से बाघों के शिकार की खबरे सुर्ख़ियों में रही. खासतौर पर गर्मी के मौसम में शिकारियों के जंगलों में सक्रिय रहने के कई प्रमाण भी सामने आये. ऐसा नहीं है कि वन विभाग का मौजूदा सेटअप वन्य प्राणियों की रक्षा के लिए दक्ष नहीं है, लेकिन कभी भी उसने उनके संरक्षण के लिए दिलचस्पी नहीं दिखाई. सरकारी रिकॉर्ड में वन्य प्राणी संरक्षण के कागजी प्रमाण तो दर्ज कर दिए गए, लेकिन अफसरों ने जंगलों का रुख ही नहीं किया, नतीजतन बाघों की जान पर बन आई. लिहाजा अब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर बाघों की लिखित जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है.