दीवाली के त्योहार के ठीक अगले ही दिन छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बड़ा नक्सली हमला हुआ है. नक्सलियों ने यहां बम धमाके से CISF की बस को उड़ा दिया है, इस हमले में 1 जवान शहीद हुआ है, जबकि चार स्थानीय नागरिकों की भी मौत हुई है. हमले में एक जवान, बस का ड्राइवर, कंडेक्टर और नागरिक की मौत हुई है. वहीं दो लोग जख्मी भी हुए हैं. ये हमला दंतेवाड़ा के बचेली में हुआ.
1 CISF jawan&4 civilians lost their lives&2 injured in the attack today. Morale of the forces will not be affected due to such attacks. The upcoming assembly elections will be conducted peacefully:V Sinha, IG Bastar: Visuals from the site of naxal attack near Bacheli,Chhattisgarh pic.twitter.com/XLLvGZY8bt
— ANI (@ANI) November 8, 2018
घटना उस वक्त हुई जब सुबह CISF की एक टीम मिनी बस में सवार होकर आकाश नगर की ओर रवाना हुई थी. यह टीम वैसे तो रूटीन गश्त पर थी लेकिन जवानों को लौटते वक्त अपने साथियों के लिए स्थानीय बाजार से साग सब्जियां भी लेकर लौटना था. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस हमले पर दुख व्यक्त किया है.
बताया गया है कि आकाश नगर के मोड़ नंबर 6 पर जैसे ही मिनी बस पहुंची, नक्सलियों ने IED ब्लास्ट कर दिया. इससे यह मिनी बस लगभग 8 फीट ऊपर उछल गई. बस के जमीन पर गिरते ही नक्सलियों ने जवानों पर फायरिंग भी की. करीब 15 मिनट तक नक्सली मौके पर रहे और उन्होंने सुरक्षा बलों और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
आपको बता दें कि कल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जगदलपुर में चुनावी रैली को संबोधित करना है. जगदलपुर दंतेवाड़ा से ही सटे जिले बस्तर में विधानसभा क्षेत्र है. बीते कुछ दिनों में जिस तरह से नक्सलियों ने कुछ हमले किए हैं, उससे हर कोई सकते में है.
कम समय में हो चुके हैं कई हमले
बता दें कि इससे पहले 27 अक्टूबर को नक्सलियों ने बीजापुर में CRPF के जवानों को निशाना बनाया था. इस हमले में 4 जवान शहीद हुए थे. ये सभी गश्त पर थे, तभी नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया था.
इसके अलावा 30 अक्टूबर को दूरदर्शन की टीम पर जो हमला हुआ उसमें दूरदर्शन के एक कैमरामैन की मौत हुई और 2 जवान शहीद भी हुए. वहीं 2 नवंबर को भी एक ब्लास्ट किया गया था, जिसमें 1 जवान शहीद हुआ था.
आपको बता दें कि 12 नवंबर को छत्तीसगढ़ में 18 सीटों पर मतदान होना है, ये सभी वही सीटें हैं जहां पर नक्सलियों का प्रभाव रहता है. यही कारण है कि इन इलाकों में सुरक्षा को काफी पुख्ता किया गया है. इसके बावजूद नक्सली अपनी करतूत से बाज नहीं आ रहे हैं.
नक्सली हमेशा से ही लोकतांत्रिक चुनावों का विरोध करते हैं और अब यही कारण है कि वह लोगों को वोट डालने से रोकने के लिए इस प्रकार का हथकंडा अपना रहे हैं.