छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला नक्सलियों के लिए कुख्यात है. यहां की दरभा घाटी में नक्सलियों ने 32 से ज्यादा कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और नेताओं को मौत के घाट उतार दिया था. इस इलाके के हालात के मद्देनजर CRPF ने यहां अस्थाई कैंप खोला. लेकिन यह अस्थाई कैंप अब सुरक्षाबलों के लिए ही मुसीबत का सबक बन गया है. दरअसल, यहां सुरक्षाबल मच्छरों से परेशान हैं. इस वजह से अब तक कई जवान मलेरिया से पीड़ित हो गए हैं.
चारों ओर से जंगलों से घिरे इस कैम्प में सुरक्षाबल के जवान मच्छरों से परेशान हैं. इस कैम्प में सुबह से लेकर शाम तक मलेरिया और डेंगू के मच्छरों का प्रकोप रहता है. इस वक्त इस कैम्प में मौजूद 50 के करीब जवानों मलेरिया पॉजिटिव पाया गया है. शेष जवान मच्छरों से बचने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. कीटनाशकों और पाउडर का छिड़काव करने के साथ-साथ कोई शरीर में मलहम लगा रहा है तो कोई देशी जड़ी बूटियों का धुँआ कर मच्छरों खदेड़ने में जुटा है. हालांकि, इतनी परेशानियों के बाद भी सुरक्षा बलों का हौसला बरकरार है.
अस्थाई ही सही इस कैम्प के खुल जाने से दरभा घाटी में हालात तेजी से सामान्य होने लगे हैं. पहले शाम ढलते ही पुरे इलाके में वाहनों की आवाजाही ठप्प पड़ जाती थी. शाम तीन बजे के बाद बड़ी हिम्मत जुटा कर ड्राइवर अपने वाहनों को इस इलाके से गुजारते थे. लेकिन अब सुरक्षाबलों की मौजूदगी से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है.
बेहद संवेदनशील इलाका होने के चलते यहां पर सुरक्षा कारणों से कैम्प स्थापित करने पर रोक लगी थी. पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों की गैर मौजूदगी के चलते नक्सलियों ने यहां अपने कई ठिकाने बना लिए थे. वो अपने विरोधियों को मौत की नींद सुलाने के बाद इसी दरभा घाटी में शरण ले लेते थे. यही नहीं यहां के घने जंगलों में उनका कैम्प भी संचालित होता था. रणनीतिक तौर पर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के लिए इस इलाके में कैम्प बनाना बेहद जरूरी था.