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छत्‍तीसगढ़: बेरोजगारी से बच गया धोबी समुदाय, लॉन्ड्री टेंडर निरस्त

इस फैसले में कपड़ों की धुलाई मशीनों के जरिये किए जाने का प्रस्ताव था, लिहाजा इतनी बड़ी तादाद में धोबियों पर बेरोजगारी की गाज गिरना लाजमी था

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कपड़ों की धुलाई मशीनों के जरिये किए जाने का प्रस्ताव था
कपड़ों की धुलाई मशीनों के जरिये किए जाने का प्रस्ताव था

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छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेजों से निकलने वाले कपड़ों की धुलाई के लिए निकाले गए टेंडर को आखिरकर सरकार ने निरस्त कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग ने कपड़ों की धुलाई के लिए टेंडर भरने वाली कंपनी के लिए 5 करोड़ के सालाना टर्नओवर और 45 लाख रुपये बतौर अमानत डिपॉजिट करने की शर्त रखी थी. इस शर्त के चलते करीब एक लाख धोबियों के रोजगार पर संकट खड़ा हो गया था.

इस फैसले में कपड़ों की धुलाई मशीनों के जरिये किए जाने का प्रस्ताव था, लिहाजा इतनी बड़ी तादाद में धोबियों पर बेरोजगारी की गाज गिरना लाजमी था. आज तक ने अपने लोकप्रिय कार्यक्रम '10 तक' में सोमवार की रात इस खबर को प्रमुखता के साथ प्रसारित किया. इस खबर का संज्ञान लेते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने टेंडर को निरस्त कर दिया है.

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दरअसल करोड़ों का टर्नओवर और 45 लाख की रकम डिपॉजिट करने की क्षमता धोबियों में नहीं थी. इसके चलते वो टेंडर की शर्तों का विरोध कर रहे थे. राज्य के आधा दर्जन मेडिकल कॉलेजों और उसके अस्पतालों से निकलने वाले कपड़ों की धुलाई के लिए स्वास्थ विभाग ने नयी व्यवस्था कायम करने पर जोर दिया था. अब तक इन अस्पतालों से निकलने वाले कपड़ों की धुलाई धोबियों के हाथों होती थी. किसी मशीन से नहीं, इसके चलते बड़ी तादाद में धोबी समुदाय को रोजगार मिलता है.

बता दें, आज तक ने रायपुर और उसके आस पास के धोबी घाटों का जायजा लिया था. यहां काम कर रहे लोगों की गुहार सरकार तक पहुंचाई. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री रमन सिंह जब हकीकत से रूबरू हुए तो उन्होंने फौरन टेंडर निरस्त करने के निर्देश स्वास्थ विभाग को दिए. मंगलवार की सुबह जब धोबी घाट में टेंडर निरस्त होने की खबर आयी तो वहां काम कर रहे लोगों के चेहरों पर खुशी दौड़ पड़ी. 

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