छत्तीसगढ़ में डॉक्टर की पर्ची के बिना मेडिकल स्टोर्स प्रेग्नेंसी किट नहीं बेच सकेंगे. यदि उन्होंने MTP यानी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी किट बेची तो उनका लाइसेंस कैंसल हो जाएगा. इसके साथ ही लाइसेंस होल्डर को जेल की हवा भी खानी पड़ेगी. दरअसल राज्य में चोरी छिपे गर्भपात के चलते कई महिलाओं की जान जा चुकी है. MTP ऐक्ट के उल्लंघन पर मेडिकल स्टोर संचालक को दो से सात साल तक का कारावास हो सकता है.
सचांलक स्वास्थ्य सेवाएं की ओर से जारी आदेश में राज्य के सभी सी.एम.ओ. और सी.एम.एच.ओ. सहित प्रदेश के सभी सिविल सर्जनों को निर्देशित किया है कि अपने इलाको में बिना डॉक्टर के पर्ची के गर्भपात की दवा बेचे जाने पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए. यह भी साफ़ कर दिया गया है कि इसके लिए टीम गठित कर जिले के सभी मेडिकल स्टोर में जांच की जाए.
दिखानी होगी डॉक्टर की पर्ची
अब गर्भपात की दवा की जरुरत के दौरान खरीददार या मरीज को मेडिकल स्टोर पर डॉक्टर के लिखी दो पर्ची ले जानी होगी. इसमें एक पर्ची दवा लेने जाने वाले को वापस कर दी जाएगी. दूसरी पर्ची मेडिकल स्टोर संचालक रिकॉर्ड के रूप में अपने पास रखेगा. स्वास्थ विभाग के अफसरों से कहां गया है कि वे आकस्मिक रूप से रिकॉर्ड की जांच करें और गड़बड़ी पकड़े जाने पर मेडिकल स्टोर संचालक के खिलाफ कार्रवाई करे.
गर्भपात की दवाईयों का हो रहा दुरुपयोग
दरअसल गर्भपात की दवाइयों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग भी सामने आया है. कई डॉक्टर से लेकर डिस्पेंसरी संचालक और अस्पताल चोरी- छिपे गर्भपात करवाते है. इससे कई महिलाओं की मौत तक हो जाती है. जबकि कई महिलाओं को दूसरे स्त्री रोगों का सामना करना पड़ता है. अवैध गर्भपात को रोकने के लिए वर्ष 2002 में MTP ऐक्ट बनाया गया था. लेकिन इसे ठीक ढंग से लागू नहीं कराया जा सका. नतीजतन ज्यादातर मेडिकल स्टोर में प्रेग्नेंसी किट हाथों हाथ बिकने लगी.