छत्तीसगढ़ का एंटी करप्शन ब्यूरो दो आईएएस अधिकारियों के इतने दबाव में आया कि उसने केंद्र सरकार से अभियोजन की अनुमति मिलने के बाद भी दोनों की गिरफ्तारी नहीं की. ना ही उनके खिलाफ सबूत जुटाने में दिलचस्पी दिखाई.
नागरिक आपूर्ति नियम घोटाले में फंसे राज्य के पूर्व खाद्य सचिव आलोक शुक्ला और मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल टुटेजा की भूमिका की जांच आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने बंद कर दी है, जबकि बाबुओं और एकांउटेंट समेत 14 अफसरों के खिलाफ EOW ने अदालत में चालान पेश किया है. EOW ने इस घोटाले में नागरिक आपूर्ति नियम के एमडी अनिल टुटेजा के चैंबर से कमीशन के 90 लाख रुपए जब्त किए थे. अब आईएएस लॉबी के दबाव EOW घुटने टेक रहा है.
आमतौर पर EOW जिस भ्रष्ट अफसर के खिलाफ कार्रवाई करता है उसकी गिरफ्तारी भी जल्द ही हो जाती है. चालान भी तय समय सीमा के भीतर प्रस्तुत हो जाता है. लेकिन इस मामले में जरूरत से ज्यादा ढिलाई बरती जा रही है. जबकि EOW दोनों ही अफसरों के खिलाफ पुख्ता सबूत काफी पहले हासिल कर चुका है.
इसके चलते ही दोनों आईएएस अफसरों के खिलाफ गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू की गई थी. सबूतों के आधार पर ही केंद्र सरकार से अभियोजन की स्वीकृति मांगी गई थी. केंद्र ने अभियोजन की स्वीकृति अरसे पहले दे दी. इसके बावजूद EOW ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
अफसरों ने दी धमकी
बताया जा रहा है कि दोनों ही अफसरों ने सरकार को धमकी दी है कि यदि उनकी गिरफ्तारी हुई तो वे बड़े पैमाने पर हुए इस भ्रष्टाचार का काला चिट्ठा खोल देंगे. वे इस बात का भी खुलासा करेंगे कि कमीशन की रकम और किन अफसरों और राजनेताओं को पहुंचाई जाती थी.
गौरतलब है कि EOW ने अपने छापे के दौरान एक डायरी के कुछ पन्ने सार्वजनिक किए थे. इन पन्नों में उन रसूखदारों के नाम दर्ज थे, जिन्हें कमीशन की मोटी रकम मिलती थी.
यह डायरी EOW के गले की फ़ांस बन गई है. बताया जाता है कि इस डायरी के खुलासे से मचे बवाल के बाद EOW खुद मामले की लीपापोती में जुट गया है. हालांकि EOW के एडीजी मुकेश गुप्ता के मुताबिक अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद आईएएस टुटेजा और शुक्ला का मामला पेंडिंग में रखा गया है. उन्होंने कहा कि मामला उच्चस्तरीय है, इसलिए दस्तावेज और साक्ष्य जुटाया जा रहा है.
अभियोजन की स्वीकृति मिलने के बावजूद दो साल से फाइल बंद
एंटी करप्शन ब्यूरो ने नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले में शामिल आईएएस आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा की भूमिका की जांच को लेकर फाइल लगभग बंद कर दी है. इस मामले में EOW की भूमिका भी संदिग्ध हो गई है. क्योंकि 2016 में केंद्र सरकार से अभियोजन की स्वीकृति मिलने के बाद भी आज तक दोनों आईएएस अधिकारियों की गिरफ्तारी तो दूर उनसे पूछताछ के लिए नोटिस तक जारी नहीं किया है. इस मामले में 18 लोगों को आरोपी बनाया गया था. ज्यादातर आरोपियों की गिरफ्तारी हुई. EOW के चालान पेश करने के बाद से ही 4 आरोपी फरार है. वर्तमान में मात्र 2 आरोपी जेल में हैं और 12 आरोपी जमानत पर रिहा हैं.
बता दें कि खेती किसानी के सरकारी कारोबार में नागरिक आपूर्ति निगम की बड़ी भूमिका है. यह निगम सालाना हजारों करोड़ के धान, चावल और दूसरे खाद्य पदार्थों की खरीद- फरोख्त करता है. इसके जरिए ही पीडीएस सिस्टम में खाद्य पदार्थो की आपूर्ति होती है. खाद्य पदार्थों की खरीद-फरोख्त में अफसर हर माह करोड़ों का कमीशन अपने जेब में डालते हैं. इसी सिलसिले में EOW ने छापामार कर बड़े पैमाने पर चल रही कमीशनखोरी के गोरखधंधे का खुलासा किया था. लेकिन अब EOW खुद अफसरशाही का शिकार हो गया है.