गुरुग्राम के रेयान स्कूल में पढ़ने वाले छात्र प्रद्युम की भले ही मौत हो गयी हो, लेकिन उसने अपनी मौत के बाद सैकड़ों छात्रों को यौन हिंसा से बचाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है. छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के सभी सरकारी और गैर-सरकारी स्कूलों में पॉक्सो कमेटी के गठन को अनिवार्य कर दिया है. यही नहीं, स्कूलों को निर्देशित किया गया है कि वे एक खास चिन्हित स्थान पर पॉक्सो बॉक्स लगाएं. इस बॉक्स को रोजाना खोला जाए. उसमे आई शिकायत के निराकरण के लिए तत्काल कदम उठाये जाएं.
सरकार ने पॉक्सो कमेटी को सक्रिय बनाने के लिए जिम्मेदार शिक्षक या शिक्षिका को इसका प्रभारी बनाये जाने के निर्देश भी दिए हैं. हालांकि आदेश राजीव गांधी शिक्षा मिशन के जरिये जारी किया गया है. सरकार ने पॉक्सो कमेटी के गठन पर जोर देते हुए कहा कि स्कूली बच्चों की सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण है. लिहाजा पॉक्सो बॉक्स में दर्ज शिकायतों को बेहद गोपनीयता से रखा जाएगा, ताकि किसी को भी संभावित कार्यवाही की भनक ना लगे. पॉक्सो कमेटी में स्कूलों के प्रधान पाठक, प्रिंसिपल, एक महिला गार्ड, एक शिक्षिका स्कुल संचालन कमेटी की एक सदस्य, दो अभिभावक (एक महिला और एक पुरुष), एक महिला स्वास्थकर्ता व स्कुल संचालन समिति का एक नामित सदस्य शामिल होगा.
पॉक्सो बॉक्स प्रतिदिन शाम को कमेटी के सदस्यों के समक्ष खोला जाएगा. अगर जरूरत पड़ी, तो किसी छात्र या छात्रा को भी मौजूद रखा जा सकता है. शिकायतों में आपराधि कृत्य और उत्पीड़न का मामला उजागर होने पर तत्काल इसकी सुचना स्थानीय पुलिस को देनी होगी. लैंगिंग उत्पीड़न से बच्चो के संरक्षण का अधिनियम 'प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेंस एक्ट-2012' का उद्देश्य नाबालिग बच्चों को यौन अपराधों और छेड़छाड़ से सुरक्षा प्रदान करना है.