छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने एक फैसले से पीछे हटकर राज्य में राजनैतिक बवाल को रणनीतिक तौर पर टाल दिया है. राज्य की बीजेपी सरकार ने SC/ST एक्ट के नए प्रावधानों को लागू करने के लिए राजनैतिक, प्रशासनिक, सामाजिक और कूटनीतिक तैयारी कर ली थी. इसके लिए राज्य के कानून विभाग ने भी सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देशों को लागू कराने के लिए प्रशासनिक पहल शुरू कर दी थी.
इस मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला मंगलवार को लिया जाना था. इसमें यह तय होना था कि सुप्रीम कोर्ट के नए प्रावधानों को जस का तस लागू किया जाए. इसके लिए एक विशेष बैठक भी हुई. इस बैठक में प्रदेश की ताजा राजनैतिक स्थिति और SC/ST प्रावधानों के लागू किए जाने पर दोनों ही समुदाय में जाने वाले संदेशों को गंभीरता से विचार किया गया. इसके बाद SC/ST एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के नए संशोधन को जस का तस लागू करने के मामले पर छत्तीसगढ़ सरकार ने यू टर्न ले लिया.
संशोधन निरस्त करने की गुहार लगाएगी राज्य सरकार
सरकार इस एक्ट की वापसी को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इसे निरस्त करने की गुहार लगाएगी. इसके पहले 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के संशोधित प्रावधानों को लागू करने का फैसला सरकार ने लिया था. इसे मंगलवार को अमलीजामा पहनाया जाना था, लेकिन SC/ST संगठनों और अपने विरोधी दलों के मुखर होने के बाद रमन सिंह सरकार को यू टर्न लेने पर मजबूर होना पड़ा.
छत्तीसगढ़ सरकार का यू टर्न
इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ मंत्रालय में मंगलवार को दिन भर गहमा गहमी रही. मंत्रियों से लेकर अफसर तक फाइल लेकर मुख्यमंत्री से मिलते रहे और उनके समक्ष अपना फीड बैक देते रहे. सुप्रीम कोर्ट की नई गाइड लाइंस और प्रावधानों का हवाला लेकर राज्य में बनने वाले राजनैतिक समीकरणों से कोई मुख्यमंत्री को अवगत कराते रहा, तो कोई इस फैसले को जस का तस लागू करने से राज्य में मचने वाले बवाल को लेकर, टीका-टिप्पणी करते रहा. मंत्रियों और अफसरों के साथ बैठक करने के बाद मुख्यमंत्री रमन सिंह ने प्रदेश के ताजा राजनैतिक हालात पर लंबी मंत्रणा की. इसके बाद उन्होंने एकाएक यू टर्न ले लिया.
नए प्रावधान लागू नहीं करेगी राज्य सरकार
सरकार ने ऐलान किया कि अब वो SC/ST एक्ट के नए प्रावधानों को लागू ही नहीं करेगी बल्कि उसे निरस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. मुख्यमंत्री रमन सिंह के मुताबिक इस मामले में उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती के साथ रखेगी. इसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा. उनके मुताबिक छत्तीसगढ़ में आदिवासियों और अनुसूचित जाति का एक बड़ा वर्ग निवासरत है. उनके ऊपर इस फैसले का सीधा असर पड़ेगा. लिहाजा वे पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखेंगे.
कांग्रेस के अरमानों पर फिरा पानी
मुख्यमंत्री रमन सिंह के इस ऐलान के बाद कांग्रेस सकते में आ गई है. उसे उम्मीद थी कि इस फैसले के लागू होने से उसके हाथो में एक बड़ा मुद्दा आ जाएगा. इससे वो प्रदेश भर में अभियान चला कर बीजेपी को आड़े हाथों लेगी, लेकिन सरकार के यू टर्न ने कांग्रेस के अरमानों पर पानी फेर दिया है. हालांकि कांग्रेस का दावा है कि उसके विरोध के चलते ही बीजेपी सरकार को अपना फैसला पलटना पड़ा. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी ने सरकार के यू टर्न पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि कांग्रेस के विरोध के चलते ही बीजेपी सरकार को अपना फैसला पलटना पड़ा. उन्होंने बीजेपी को SC और ST वर्ग का दुश्मन बताया.
छत्तीसगढ़ में इसी साल होने हैं विधानसभा चुनाव
छत्तीसगढ़ में इसी साल अक्टूबर या नवंबर माह में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके चलते सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि दूसरे सामाजिक और राजनैतिक दल भी सरकार के हर एक फैसले पर अपनी निगाह गड़ाए बैठे हैं. वो मुख्यमंत्री रमन सिंह के किसी भी फैसले को जनता की अदालत में ले जाना चाहते हैं ताकि उस फैसले के राजनैतिक मायने भी निकाले जा सकें. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ, चूंकि सुप्रीम कोर्ट के नए प्रावधानों को लागू करने का निर्देश खुद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया था. लिहाजा बगैर किसी राजनैतिक मुनाफे या नुकसान के इसे लागू करने की जवाबदेही राज्य सरकार पर थी.
सीएम ने कांग्रेस पर कसा तंज
सरकार ने इसके लिए माहौल बनाना भी शुरू कर दिया था और लागू करने की प्रक्रिया भी, लेकिन इस एक्ट के नए प्रावधानों को लेकर देश भर में मचे बवाल से छत्तीसगढ़ सरकार के कान खड़े हो गए. इससे पहले कि वो इसे लागू करती इससे पैदा होने वाले नए राजनैतिक समीकरणों की आहट से राज्य की बीजेपी सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा. उधर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि वो तमाम प्रशासनिक फैसलों को राजनैतिक चश्मे से देखकर जनता को गुमराह करने में जुटी है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दुष्प्रचार से अब भी कुछ नहीं होने वाला. उन्होंने दावा किया कि इस बार भी बीजेपी सत्ता में काबिज होगी.