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छत्तीसगढ़: मीसा बंदियों की पेंशन योजना बंद, BJP ने बताया जनविरोधी कदम

मीसा बंदियों की पेंशन योजना पर छत्तीसगढ़ सरकार ने रोक लगा दी है. साल 2008 में बीजेपी की सरकार ने इस योजना की शुरुआत की थी.

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (फाइल फोटो-आईएएनएस)
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (फाइल फोटो-आईएएनएस)

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  • छत्तीसगढ़ में मीसा बंदियों की पेंशन योजना बंद
  • सरकार ने अध्यादेश जारी कर खत्म किया नियम

छत्तीसगढ़ सरकार ने मीसा बंदियों की पेंशन योजना को बंद कर दिया है. सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर उस नियम को ही खत्म कर दिया, जिसके तहत पेंशन राशि दी जा रही थी.

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार ने 2008 में मीसा बंदियों को पेंशन देने के लिए लोकनायक जय प्रकाश नारायण सम्मान निधि योजना शुरू की थी. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद सरकार ने अब इस पेंशन पर रोक लगा दी है. कांग्रेस का कहना है कि तत्कालीन रमन सिंह सरकार (2008) में बीजेपी और आरएसएस को खुश रखने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई थी.

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फैसले का स्वागत करते हुए राज्य कांग्रेस के प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा है कि यह योजना बीजेपी-आरएसएस के नेताओं को खुश रखने के लिए थी. वहीं अब इसके लाभार्थियों को दिए जा रहे पैसे को युवाओं के लिए रोजगार योजनाओं पर खर्च किया जाएगा. तिवारी ही थे जिन्होंने दिसंबर 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से इस योजना को रद्द करने का आग्रह किया था.

बीजेपी ने बताया जनविरोधी कदम

वहीं बीजेपी के वरिष्ठ विधायक और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कांग्रेस सरकार के कदम को जनविरोधी और लोकतंत्र की हत्या करार दिया है. इसके साथ ही उन्होंने पेंशन योजना की बहाली की मांग की है. कौशिक ने कहा है कि सत्ताधारी कांग्रेस जनविरोधी कदम उठाती रही है. एक के बाद एक फैसले लिए हैं, जो बेहद निंदनीय हैं. वर्तमान में लगभग 300 लोग हैं जो राज्य में इस योजना के तहत पेंशन हासिल कर रहे थे.

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उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान केंद्र में कांग्रेस सरकार के जरिए कुचल दिए गए मौलिक अधिकारों के लिए लड़ने वालों के लिए बीजेपी की ओर से ये योजना शुरू की गई थी. कौशिक ने कहा कि यह अनुचित कदम हाल ही में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है, जो मीसा बंदियों के लिए पेंशन जारी करने का निर्देश है.

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बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जरिए लगाए गए आपातकाल के दौरान MISA के तहत देश भर में हजारों लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिसने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को व्यापक अधिकार दिए थे.

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