scorecardresearch
 

IAS अफसर के सवाल का जवाब देने में छत्तीसगढ़ सरकार ने खर्च डाले 6.5 करोड़

छत्तीसगढ़ कैडर के वर्ष 2012 बैच के आईएएस अधिकारी शिव अनंत तायल ने करीब चार माह पहले अपनी फेसबुक वाल में ये सवाल पोस्ट किया था. राज्य की बीजेपी सरकार को ये नागवार गुजरा.

Advertisement
X
दीनदयाल उपाध्याय पर पुस्तक
दीनदयाल उपाध्याय पर पुस्तक

Advertisement

एक आईएएस अफसर का सवाल पूछना छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार को 6.5 करोड़ रुपए का पड़ गया. दरअसल, इस अफसर ने अपनी फेसबुक वॉल पर सवाल किया था कि दीनदयाल उपाध्याय कौन हैं और उनका देश के प्रति योगदान क्या रहा है. इस सवाल का जवाब देने की जगह राज्य सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय पर पुस्तक ही छपवा दी.  

छत्तीसगढ़ कैडर के वर्ष 2012 बैच के आईएएस अधिकारी शिव अनंत तायल ने करीब चार माह पहले अपनी फेसबुक वाल में ये सवाल पोस्ट किया था. राज्य की बीजेपी सरकार को ये नागवार गुजरा. तायल उस वक्त कांकेर जिला पंचायत के सीईओ पद पर तैनात थे. उन्हें वहां से ट्रांसफर कर मंत्रालय में अटैच कर दिया गया.

इस घटना के चार महीने बाद अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ऊपर लिखी 10,971 पन्नों की किताब जल्दी ही ग्राम पंचायतों की रौनक बढ़ाने वाली है.  राज्य के पंचायत विभाग ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय  की जीवनशैली चरित्र और विचारधारा पर आधारित पंद्रह खंडो की किताब प्रकाशित करने के लिए सरकारी खजाने से साढ़े छ करोड़ की रकम खर्च कर दी गई. किताब को छपवाने में इतनी जल्दबाजी दिखाई गई कि ना तो इसके लिए टेंडर बुलाया गया और ना ही सार्वजनिक सूचना जारी की गई. अब ये किताबें राज्य की सभी ग्राम पंचायतों तक पहुंचाई जाएगी.

Advertisement

कांग्रेस ने इस किताब को छपवाए जाने में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. राज्य में पार्टी के उपाध्यक्ष रमेश वर्ल्यानी के मुताबिक किताब के प्रकाशन में भारी गड़बड़ी हुई है. वर्ल्यानी का कहना है- 'डिजिटल इंडिया पर इतना जोर दिया जा रहा है तो इस किताब को ई-बुक की शक्ल देकर गांव-गांव में पहुंचा सकती थी. ऐसा नहीं कर सरकार ने किताब के प्रकाशन का काम अधिकारियों के भरोसे छोड़ दिया. अधिकारियों ने बिना टेंडर बुलाए जो जनता के पैसे का दुरुपयोग किया, उसकी वसूली उन्हीं से की जानी चाहिए.'

बता दें कि राज्य सरकार दीन दयाल उपाध्याय पर सिर्फ किताब को लेकर ही नहीं बल्कि उनकी जयंती पर होने वाले खर्च को लेकर भी सवालों के घेरे में है. जयंती से जुड़े समारोह पर होने वाला 13 करोड़ रुपए की अनुमानित रकम भी पंचायतों की मूलभूत विकास राशि से खर्च की जाएगी. हालांकि पंयायत एक्ट में साफ है कि पंचायत की मूलभूत राशि को सिर्फ विकास योजनाओं पर ही खर्च किया जा सकता है किसी महापुरुष के नाम पर नहीं. राज्य सरकार ने पंचायतों के विकास निधि के फंड से ही साढ़े छ करोड़ की रकम पंडित दीनदयाल  उपाधयाय पर आधारित पुस्तक छपवाने में खर्च कर दी. मामले के खुलासे के अब सरकार की ओर से सफाई दी जा रही है. सरकारी प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी का कहना है कि हमारा  उद्देश्य यही है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारो से हम देश-प्रदेश की जनता को अवगत कराए, अगर कहीं कोई अनियमितता हुई है तो निश्चित रूप से नियमानुसार कार्रवाई होगी.

Advertisement

छत्तीसगढ़ में यूं तो रमन सिंह सरकार का दावा है कि वो भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है. लेकिन इस किताब को छपवाने की नियम प्रक्रिया को लेकर ना तो विभाग प्रमुख कुछ बोलने को तैयार है और ना ही मंत्री. राज्य में 50 हजार रूपये से अधिक के किसी भी तरह के खर्च या फिर खरीद फरोख्त के लिए टेंडर जारी करने का नियम है. फिर इस मामले में पिछले दरवाजे से आखिर क्यों किताब के प्रकाशन के ऑर्डर जारी किए गए. ये बड़ा सवाल है जिस पर राज्य सरकार ने चुप्पी साध रखी है.

 

Advertisement
Advertisement