छत्तीसगढ़ में राज्यपाल और कांग्रेस के बीच तनातनी शुरू हो गई है. कांग्रेस ने राज्यपाल बलराम दास टंडन की तीखी आलोचना की है. दरअसल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने पुलिसकर्मियों के परिजनों के आंदोलन को लेकर बन रही स्थिति से अवगत कराने के लिए राज्यपाल बीडी टंडन से समय मांगा था. भूपेश बघेल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के लिए एक प्रतिनिधि मंडल भी गठित कर लिया था. उन्हें उम्मीद थी कि राजभवन से उन्हें बुलावा मिलेगा, लेकिन चार दिनों बाद भी कोई जवाब नहीं मिला तो कांग्रेसी नेता समझ गए कि राजभवन में उनकी नो एंट्री है.
इसके पहले भी कांग्रेसी नेताओं से मेल-मुलाकात को लेकर राजभवन ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. यह दूसरा मौका है जब राज्यपाल बीडी टंडन ने कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात करने से इंकार कर दिया है.
दरअसल 25 जून को प्रदेश में पुलिसकर्मियों के परिजनों ने रायपुर में महाधरने का आयोजन किया था. इस महाधरने के पहले और बाद में पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर कई पुलिसकर्मियों को अनुसाशनहीनता के आरोप में बगैर सुनवाई बर्खास्त कर दिया गया. कई रिटायर्ड पुलिसकर्मियों पर देशद्रोह और पुलिस संगठन में विद्रोह करवाने की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जेल में डाल दिया गया.
यही नहीं पुलिसकर्मियों से हलफनामा भरवाया गया कि यदि उनके परिजनों ने पुलिस और सरकार के खिलाफ आयोजित महाधरने में हिस्सा लिया तो उन्हें भी बर्खास्त कर दिया जाएगा. इस तरह से पुलिसकर्मियों के परिजनों के आंदोलन को कुचलने के प्रयास की कांग्रेस ने तीखी निंदा कर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा था.
राज्यपाल से मिलने का मांगा था समय
इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा. लेकिन लंबा समय बीत जाने के बावजूद राजभवन ने भूपेश बघेल को राज्यपाल से मिलने की अनुमति नहीं दी. भूपेश बघेल के मुताबिक 24 जून को चिट्ठी लिखकर राज्यपाल से मिलने की अनुमति मांगी गई थी.
भूपेश बघेल ने कटाक्ष करते हुए कहा कि राज्यपाल का पद संवैधानिक है. इसलिए राज्यपाल को सिर्फ बीजेपी और आरएसएस के लोगों से ही नहीं बल्कि कांग्रेस के नेताओं से भी मेल-मुलाकात करनी चाहिए. बघेल के मुताबिक कांग्रेस राज्य में मुख्य विपक्षी दल के रूप में मौजूद है. इसलिए राज्यपाल का दायित्व था कि कांग्रेस के तथ्यों पर भी गौर करे. लेकिन लगता है कि वो सिर्फ सत्ताधारी बीजेपी के ही राज्यपाल है.
फिलहाल राजभवन के रवैये से कांग्रेस काफी खिन्न है. दो जुलाई से छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र की शुरुआत होने वाली है. सत्र के पहले दिन राज्यपाल का अभिभाषण होगा. पांच जुलाई को विधानसभा में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी और स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण होना है. राज्यपाल के रवैये से नाखुश कांग्रेस में उनके सभी कार्यक्रमों का बहिष्कार करने का फैसला लिया है. हालांकि विधायक दल की बैठक में यह मामला एक बार फिर विचार विमर्श के लिए लाया जाएगा. बताया जा रहा है कि इस मामले में अब अंतिम फैसला नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंहदेव पर छोड़ दिया गया है.