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Chhattisgarh: 'प्यार से मिली आजादी और बदलाव की राह...', 8 लाख के इनामी नक्सली ने पत्नी के साथ किया सरेंडर

नक्सली कमांडर दिनेश मोडयामी और कला टाटी ने यह सच कर दिखाया कि प्यार की ताकत किसी को भी बदल सकती है. बरसों-बरस हिंसा के रास्ते पर चलने वाले इन दोनों ने अब बंदूकों को छोड़कर एक नई जिंदगी शुरू करने का फैसला लिया है.

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नक्सली जोड़े ने किया आत्मसमर्पण
नक्सली जोड़े ने किया आत्मसमर्पण

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर में एक इनामी नक्सली ने अपनी पत्नी और बच्चे के साथ पुलिस स्टेशन आकर सरेंडर कर दिया. इसे नक्सलियों के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है. गंगालूर एरिया कमेटी का सचिव दिनेश मोडियम पत्नी और बच्चे के साथ समर्पण के लिए पुलिस के पास पहुंचा. दिनेश मोडियम कट्टर माओवादी है, जिस पर 100 से ज्यादा हत्याओं का आरोप है और उस पर 8 लाख का इनाम घोषित था. पुलिस ने उसे बीजापुर का सबसे नक्सल कमांडर बताया है, जो कई घात लगाकर किए गए हमलों में शामिल था.

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यह एक ऐसी इकाई है, जो ग्रामीणों, ड्यूटी पर नहीं रहने वाले पुलिसकर्मियों और यहां तक ​​कि साथी कैडर्स की क्रूर हत्याओं के लिए जानी जाती है. वह उग्रवादी संगठन में "डिवीजनल कमेटी सदस्य" के पद पर था.

दिनेश मोडियम को किस बात का डर?

दिनेश और उनकी पत्नी काला ताती अपने बच्चे के साथ आत्मसमर्पण करने आए थे. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बताया, "उसने हथियार इसलिए छोड़े क्योंकि उसे अपनी जान का डर था. अब जब माओवादी संगठन पस्त हो चुका है और उसके कैडर अव्यवस्थित कमान और नियंत्रण के साथ बिखर गए हैं, तो दिनेश का खूनी अतीत उसे परेशान करने लगा है और उसे डर है कि उसके अपने ही लोग उसे मार देंगे."

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दिनेश के आत्मसमर्पण को माओवादियों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, लेकिन इसने छत्तीसगढ़ प्रशासन को असमंजस में डाल दिया है.

प्यार ने दिलाई आज़ादी

प्यार की ताकत किसी को भी बदल सकती है. नक्सली कमांडर दिनेश मोडयामी और कला टाटी ने यह सच कर दिखाया. बरसों तक हिंसा के रास्ते पर चलने वाले इन दोनों ने अब बंदूकों को छोड़कर एक नई जिंदगी शुरू करने का फैसला लिया है. कभी संगठन के लिए खूनी खेल खेलने वाले यह दोनों अब शांति और सुकून की तलाश में हैं.

दिनेश और कला की पहली मुलाकात सुकमा के घने जंगलों में हुई थी. दोनों ही संगठन के सक्रिय सदस्य थे और कई बड़े हमलों का हिस्सा रह चुके थे लेकिन वक्त के साथ उनके दिलों में नफरत की जगह प्यार ने ले ली लेकिन नक्सली संगठन में प्रेम की कोई जगह नहीं होती. न ही शादी करने की अनुमति और न ही संतान पैदा करने की छूट. फिर भी प्यार अपनी राह खुद बना गया. दिनेश और कला ने समाज के नियमों को अपनाने का सपना देखा और उनके रिश्ते ने एक नए जीवन को जन्म दिया. मगर यह संगठन के लिए अस्वीकार्य था.

लगातार धमकियों और सजा की चेतावनी के बावजूद, उन्होंने साथ रहने का फैसला किया. आखिरकार बीजापुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर उन्होंने नई जिंदगी की तरफ कदम बढ़ा लिया. पत्नी और बेटी के भविष्य की चिंता में दिनेश ने कई बार गंगालूर इलाके की पुलिस से संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन संगठन की कड़ी नजरें उनके हर कदम पर थीं. डर था कि कहीं उनके परिवार को नुकसान न पहुंचाया जाए. आखिरकार बीजापुर पुलिस के सहयोग से उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया.

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आतंक का अंत

दिनेश पिछले 8 वर्षों से संगठन के लिए वसूली कर रहा था. उस पर 100 से अधिक हत्याओं का आरोप है और राज्य सरकार ने उस पर 8 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था. वह कई नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड रहा लेकिन अब वह हिंसा से मुक्त होकर शांति की राह पर चलना चाहता है.

प्रशासन की पुनर्वास योजना में होगा शामिल

बीजापुर पुलिस फिलहाल दिनेश और कला से पूछताछ कर रही है. जल्द ही उन्हें राज्य सरकार की पुनर्वास योजना के तहत सहायता दी जाएगी, जिससे वे एक सामान्य जीवन जी सकें.

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'बदलाव की लहर आएगी'

बीजापुर के डीएसपी सुदीप सरकार ने कहा कि दिनेश और कला का आत्मसमर्पण यह साबित करता है कि प्यार न सिर्फ इंसान को बल्कि उसके रास्ते को भी बदल सकता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में और भी नक्सली बंदूक छोड़कर प्रेम और शांति की राह अपनाएंगे.

नक्सली संगठन में क्यों नहीं मिलती शादी की इजाजत?

नक्सली संगठनों में यह सख्त नियम है कि कोई भी सदस्य शादी नहीं कर सकता. इसके साथ ही संतान पैदा करना सख्त वर्जित है. संगठन को लगता है कि अगर उनके लड़ाके परिवारिक बंधनों में बंधेंगे तो उनकी निष्ठा कम हो जाएगी लेकिन अब दिनेश और कला जैसे लोग समझ रहे हैं कि संगठन के नियम अमानवीय हैं और सामाजिक जीवन जीने का अधिकार सबको है.

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प्रेम की ताकत ने दिखाई नई राह

दिनेश और कला की प्रेम कहानी यह साबित करती है कि बंदूकों की दुनिया से बाहर भी एक खूबसूरत जिंदगी इंतजार कर रही है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह कदम अन्य नक्सलियों को भी आत्मसमर्पण करने और मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित करेगा.

बीजापुर पुलिस ने कहा कि प्रतिबंधित एवं गैरकानूनी CPI (माओवादी) संगठन के पश्चिम बस्तर डिविजन के गंगालूर एरिया कमेटी सचिव DVCM दिनेश मोडियम और उनकी पत्नी ACM कला ताती (गंगालूर एरिया कमेटी सदस्य) ने नक्सल संगठन से मोह भंग होकर शासन के आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण करने के उद्देश्य से बीजापुर पुलिस को संपर्क किया. इस संबंध में कानून के मुताबिगक कार्यवाही की जा रही है. 

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