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छत्तीसगढ़: हाईकोर्ट की सौगात, अब हिंदी में मिलेगी फैसले की कॉपी

अगर आपको कोर्ट से मिलने वाले कागजातों को पढ़ने में परेशानी होती है या अंग्रेजी भाषा में होने के कारण आपको समझ में नहीं आता कि आख‍िर फैसला क्या सुनाया गया है तो अब आपकी ये परेशानी दूर होने वाली है. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हिन्दी भाषी लोगों को सौगात दी है और कहा है कि कोर्ट से मिलने वाली फैसले की कॉपी हिन्दी में दी जाएगी.  

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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

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अगर आपको कोर्ट से मिलने वाले कागजातों को पढ़ने में परेशानी होती है या अंग्रेजी भाषा में होने के कारण आपको समझ में नहीं आता कि आख‍िर फैसला क्या सुनाया गया है तो अब आपकी ये परेशानी दूर होने वाली है. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हिन्दी भाषी लोगों को सौगात दी है और कहा है कि कोर्ट से मिलने वाली फैसले की कॉपी हिन्दी में दी जाएगी.   

यह मामला छत्तीसगढ़ का है. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाई कोर्ट में हिंदी का बोलबाला जल्द ही दिखाई देगा. अभी तक अभियुक्त और अभियोजन पक्ष के गवाहों को लेकर बहस में सिर्फ अंग्रेजी का ही चलन दिखाई देता था. फरियादियों से बातचीत के लिए ही हिंदी का उपयोग होता नजर आता था. न्यायालय परिसर में हिंदी इतनी सिमित हो गई थी कि मुअक्किल से सामान्य बातचीत के लिए ही वकील साहब इसका प्रयोग करते थे. लेकिन बिलासपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस टी बी राधाकृष्णन के एक ऐलान ने हिंदी के प्रचार प्रसार और उपयोग को नई दिशा दे दी है. चीफ जस्टिस ने ऐलान किया है कि पुरानी परम्पराओं को पीछे छोड़ते हुए अब फैसले की कॉपी हिंदी में मुहैया कराई जाएगी. यही नहीं हिंदी में बहस करने और पेटीशन दायर करने की भी प्राथमिकता रहेगी. अभी तक हाई कोर्ट का ज्यादातर कामकाज अंग्रेजी में ही होता है.

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अंग्रेजी में फैसला आने के चलते पीड़ितों से लेकर कई वकीलों को भी उसके अनुवाद में होने वाली अड़चनों से जूझते हुए देखा गया है. अंग्रेजी के जानकार तो  फैसले से तुरंत ही वाकिफ हो जाते हैं, लेकिन कमजोर अंग्रेजी वाले लोग इसके हिंदी अनुवाद को लेकर अक्सर परेशान रहते हैं. खासकर ग्रामीण इलाके के लोगों के लिए तो अंग्रेजी का अक्षर 'काला अक्षर भैस बराबर' दिखाई पड़ता है. लेकिन अब हिंदी में फैसला आने से लोगों को उसे समझने में आसानी होगी.  

विधिक सेवा पर आयोजित एक कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने यह ऐलान कर, वहां मौजूद लोगों को खुश कर दिया. उनके इस ऐलान से छत्तीसगढ़ साहित्य प्रेमी गदगद हैं. वहीं ऐसे वकीलों ने भी राहत की सांस ली है, जिन्हें अंग्रेजी भाषा की कमजोरी के चलते अदालत में जिरह करने के दौरान दो चार होना पड़ता था.   

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