छत्तीसगढ़ में इन दिनों नगर पालिका और नगर निगम के चुनाव चल रहे हैं. स्थानीय नेता अपने-अपने चुनाव क्षेत्र में व्यस्त हैं, लेकिन इन सब के बीच घरों में काम करने वाली नौकरानियां भी चुनाव प्रचार में हिस्सा ले रही हैं. जाहिर तौर पर समाज के इस वर्ग का चुनाव प्रचार में हिस्सा लेना एक नई पहल है, लेकिन इससे मालिकानों की कमर टूट गई है.
कामवाली बाई इन दिनों मालिकानों के घर से दूर चुनावी क्षेत्र में व्यस्त है, लिहाजा हजारों घरों में बवाल मचा है. मौजूदा जीवनशैली में घर में नौकर का खासा स्थान है. उनकी गैर मौजूदगी के कारण घरों में खाने-पीने से लेकर साफ-सफाई तक का काम ठप्प पड़ गया है. आलम यह है कि सुबह से लेकर शाम तक घर के मालिकान कामवाली बाई की राह तक रहे हैं.
हर दिन 500 रुपये मेहनताना
बताया जाता है कि नौकरानियों को चुनाव प्रचार के दौरान रोजाना 500 रुपये का मेहनताना मिल रहा है. यही नहीं, इसके साथ ही सुबह नाश्ता और दोनों वक्त का खाना भी. जबकि घरों में साफ-सफाई और अन्य दूसरे कामकाज करने पर वह रोजाना 100-200 रुपये ही कमा पाती हैं. जाहिर तौर पर ऐसे में चुनावी मौसम में नौकरानियों की चांदी हो गई है.
नौकरानियों का भी कहना है कि 5 साल में एक बार ही ऐसा मौका आता है. ऐसे में मौके का फायदा उठाना कोई गलत काम नहीं है. पार्षद से लेकर मेयर तक की दौड़ में शामिल प्रत्याशी चुनाव प्रचार के दौरान कार्यकर्ताओं की फौज लेकर चलते हैं. अब इनमें नौकरानियों का जुड़ना संख्या को बढ़ाने के साथ ही प्रचार का नया ट्रेंड बन गया है.