छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रमन सिंह और कद्दावर कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के बीच तलवारें खिंच गई हैं. महासमुंद जिले के सिरपुर में सरकारी जमीन के कब्जे को लेकर मिली रिपोर्ट के बाद मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि वह इस पर जल्द कार्रवाई करेंगे. हालांकि उन्होंने मंत्री के परिजनों के कब्जे वाली सरकारी जमीन की रजिस्ट्री को शून्य करने के आदेश दे दिए हैं. इस आदेश में उन्होंने यह भी कहा है कि जमीन खाली कराने की प्रक्रिया के साथ इस जमीन की खरीद फरोख्त करने वालों के खिलाफ अदालत में केस दायर करें. मुख्यमंत्री के इस कदम के बाद मंत्री बृजमोहन अग्रवाल भी मोर्चा खोलने की तैयारी में है. अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि इस मामले के तूल पकड़ने से बीजेपी का अंतरकलह सामने आ सकती है.
छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री पर इस्तीफे की गाज गिर सकती है. राज्य के महासमुंद जिले के सिरपुर इलाके में सरकारी जमीन पर कब्ज़ा कर उस जमीन पर रिसॉर्ट बनाने का मामला मंत्री पर भारी पड़ गया है. राज्य शासन की रिपोर्ट में साढ़े चार हेक्टेयर वन भूमि पर मंत्री के परिजनों का बेजा कब्ज़ा पाया गया. इसके बाद सरकरी जमीन की रजिस्ट्री शून्य करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री रमन सिंह कृषि मंत्री से इस्तीफे की मांग कर सकते हैं. इसके संकेत खुद रमन सिंह ने दिए हैं.
सरकारी जमीन पर बना रिसॉर्ट मंत्री की पत्नी सरिता अग्रवाल और बेटे अभिषेक अग्रवाल के नाम है. इस सरकारी जमीन का मालिकाना हक़ आखिर कैसे प्राइवेट व्यक्ति को सौंप दिया गया इसकी जांच राज्य के मुख्य सचिव ने की है. जांच में कहा गया है कि यह सरकारी जमीन गलत तरीके से मंत्री के परिजनों ने खरीदी. यह जमीन स्थीनीय किसानों ने 2009 में नहर के निर्माण के लिए जल संसाधन विभाग को दान में दी थी. इसके बाद जल संसाधन विभाग ने इस जमीन को वन विभाग को सौंप दिया था. लेकिन 2012 में गुपचुप ढंग से यह जमीन मंत्री के परिजनों के स्वामित्व में चली गई. जांच रिपोर्ट के बाद महासमुंद जिले के डीएम को इस जमीन की रजिस्ट्री शून्य करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके लिए राजस्व विभाग को भी कहा गया है कि वो मंत्री के परिजनों के खिलाफ अदालत में केस दायर करे. हालांकि मंत्री अपने परिजनों के बचाव में आ गए हैं, उनकी दलील है कि यह जमीन उन्होंने कानूनी रूप से वास्तविक भूस्वामी से खरीदी है.
मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की गिनती राज्य के कद्दावर नेताओं में होती है. मुख्यमंत्री रमन सिंह के बाद वह बीजेपी के दूसरे नंबर के नेता हैं. हालांकि मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके बीच अक्सर राजनीतिक खींचतान चलती रहती है. लिहाजा इस सरकारी जमीन के कब्जे के मामले को पार्टी आलाकमान तक पहुंचाने के लिए मुख़्यमंत्री रमन सिंह ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है. इस जांच रिपोर्ट के आने के बाद वह बृजमोहन अग्रवाल को मंत्रिमंडल से बाहर करने की जुगत में हैं.
फ़िलहाल इस जमीन की रजिस्ट्री शून्य करने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद मुख्यमंत्री रमन सिंह और कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के बीच तनातनी बढ़ गई है.