बिजली बिल के भुगतान के मामलों को लेकर छत्तीसगढ़ स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड आम उपभोक्ताओं के प्रति जरा भी नरमी नहीं बरतता. यदि आम उपभोक्ताओं ने एक माह का बिल जमा नहीं किया, तो बिजली विभाग का अमला लाइन काटने आ धमकता है, बिल का पूरा भुगतान लेने के बाद ही वो आम नागरिकों के घरों से रुखसत होता है, लेकिन 'माननीयों' के लिए उसकी मेहरबानी ऐसी है कि भले ही बिल लाखो में पहुंच जाए और महीनों से भुगतान न हो, बावजूद इसके उनकी बिजली लाइन काटने की हिम्मत नहीं होती.
रायपुर में मंत्रियों के सरकारी बंगलों पर लाखों रुपये का बिजली का बिल बकाया है. मंत्रियों ने बिजली बिल के भुगतान के लिए महीनों से कोई रुचि नहीं दिखाई. नतीजतन बिल लाखों में पहुंच गया. ज्यादातर मंत्रियों पर चार से आठ माह तक का बिल बकाया है.
इन मंत्रियों के बंगलों में बिजली की खपत का बिल जरा आप भी देखे. मंत्री रामसेवक पैकरा, अमर अग्रवाल, प्रेमप्रकाश पांडेय, केदार कश्यप, राजेश मूणत और मंत्री अजय चंद्राकर के बंगले का आखिरी बिल 22 जुलाई को जमा किया गया है. साथ ही मंत्री रमशीला साहू का 28 अगस्त, महेश गागड़ा का 23 अगस्त को आखिरी बिल का भुगतान किया गया है. मंत्री केदार कश्यप एवं अजय चंद्राकर के नाम पर दो बंगलों का बिजली बिल आया है.
केदार के एक बंगले का बिल एक लाख 56 हजार नौ रुपए और दूसरे बंगले का बिल एक लाख 71 हजार 702 रुपये है. वहीं, अजय चंद्राकर के नाम पर एक बिल एक लाख 81 हजार 655 और दूसरा बिल दो लाख 15 हजार 776 रुपए का है. दोनों मंत्रियों पर लगभग तीन-तीन लाख रुपये बकाया हैं.
मंत्रियों के बिलों का रुपये में बकाये का विवरण इस प्रकार हैं: रामसेवक पैकरा -1,72,038, राजेश मूणत-1,57,406, पुन्नूलाल मोहले-81,083, अमर अग्रवाल-76,828, महेश गागड़ा-72,592, प्रेमप्रकाश पांडेय-71,293 , रमशीला साहू-70,024, अजय चंद्राकर -2,15,776 और 1,81,655 , केदार कश्यप- 1,56,609 और 1,71,702.
दिलचस्प बात है ये कि बिजली विभाग के प्रभारी मंत्री खुद मुख्यमंत्री रमन सिंह हैं. राज्य विद्युत विभाग के मुताबिक मुख्यमंत्री निवास का मासिक विद्युत बिल समय पर जमा हो जाता है. विभाग के मुताबिक मुख्यमंत्री के अलावा तमाम मंत्रियों के बिजली बिलों का भुगतान की जिम्मेदारी PWD विभाग की है. इस विभाग ने समय पर बिलों का भुगतान क्यों नहीं किया. इसकी पड़ताल की जा रही है.